साझेदारी संलेख क्या होता है ?
partnership deed kya hota hai :- partnership deed एक लिखित प्रपत्र है , क्यूंकि साझेदारी स्थापित करने के लिए एक agreement किया जाता है। जिसमे कुछ नियम और शर्ते होती है जिस पर सभी साझेदार सहमत होते है। ये सभी नियम लिखित या फिर मौखिक हो सकते है। और कानून के अनुसार ये आवस्यक नहीं है ये सभी नियम और शर्ते लिखित में ही हो लेकिन किसी तरह के लड़ाई -झगड़ो से बचने के लिए जहाँ तक संभव हो नियम को लिख लेना चाहिए। इसको हम articles of partnership भी कहते है।
partnership deed rules in hindi (partnership deed kya hota hai)
साझेदारी संलेख में निम्न जानकारी को लिख लिया जाना चाहिए :-
- फर्म का नाम और पता
- साझेदारों का नाम और पता
- साझेदारी फर्म जो business करना चाहती है उस business की प्रकृति
- साझेदारों की पूंजी :- हर साझेदार फर्म में कितनी पूंजी लेकर आएगा और पूंजी चल होंगें या फिर अचल ?
- पूंजी पर लगने वाला ब्याज :- पूंजी पर ब्याज लगाया जायेगा या नंही यदि लगाया जायेगा तो कितना ?
- आहरण (Drawings) :- साझेदार दुआरा कितना रूपए फर्म में से अपने निजी प्रयोग के लिए निकाला जा सकता है ?
- आहरण पर ब्याज :- आहरण पर ब्याज लिया जाएगा या नहीं और यदि लिया जाएगा तो किस दर से लिया जायेगा ? partnership deed kya hota hai
- लाभ -हानि बांटने का अनुपात :- यह वो अनुपात होता है जिसमे साझेदार लाभ -हानि का बंटवारा करते है ?
- वेतन :- किस साझेदार को वतन देना है या नहीं यदि देना है तो कितना देना है। partnership deed kya hota hai
- ख्वाती (Goodwil) :- नए साझेदार के प्रवेश और अवकाश होने पर goodwill की राशि का कैसे निर्धारण किया जाएगा ?
- फर्म के हिसाब करने की अवधि :- फर्म के अंतिम खाते कितने समय के लिए बनाये जायेगें और ये अवधि वार्षिक होगी या फिर अर्ध वर्षिक ?
- फर्म के हिसाब किताब लिखने का तरीका और लेखा पुस्तकों तथा अन्य परिपत्रो की सुरक्षा
- लेखा परीक्षण :- फर्म की पुस्तकों का लेकह परीक्षण करना है या नंही और यदि करना है तो auditor की नियुक्ति किस method से किया जाएगा ?
- साझेदारी करने का दिन
- साझेदारी खत्म होने के अवधि :- फर्म की स्थापना कितने समय के लिए की गयी है और फर्म का अंत partnership deed kya hota hai किस विधि द्वारा किया जायेगा ?
- बैंक के खाते :- बैंक में खाता फर्म के नाम से खोला जायेगा या फिर किसी साझेदार के व्यक्तिगत नाम से ? और check पर signature करने के अधिकार किसका होगा ?
- साझेदार के प्रवेश होते वक्त लगने वाले नियम
- अवकाश लेने पर हिसाब -किताब करने का नियम :- किस साझेदार के अवकाष पर होने या फिर मृत्यु होने पर उसके हिस्से के गणना किस प्रकार की जाएगी और उसके हिस्से का भुगतान किस तरह से किया जायेगा ?
- विवादों का निपटारा :- साझेदारी द्वारा आपस में कोई विवाद होने पर उसका समाधान करने के लिए कौन से नियम लिए जायेगें ?
साझेदारी संलेख के अभाव में लागू होने वाले नियम (Rules applicable in the absence of partnershipdeed)
Partnership rules in hindi
यदि साझेदारों द्वारा कोई संलेख नहीं बनाया गया है और न ही कोई मौखिक समझौता है और साझेदारी संलेख ये यदि कोई विशेष बात नहीं दी गयी है तो साझेदारी अधिनियम 1932 में दिए गए नियम लागू होते है।
इनमे से जो नियम महत्वपूर्ण है वह निम्नलिखित है :-
- लाभ -हानि विभाजन का अनुपात
- पूंजी पर ब्याज
- आहरण पर ब्याज
- साझेदारों को वेतन
- ऋण पर ब्याज :- यदि कोई साझेदार फर्म को ऋण देता है तो नियम के अनुसार 6 % वार्षिक ब्याज प्राप्त कर सकता है। और फर्म को हानि पर भी ऋण पर ब्याज की भुगतान किया जायेगा।
- नए साझेदार का प्रवेश
- हर साझेदार फर्म के कारोबार के संचालन में भाग ले सकता है।
- हर साझेदार फर्म की पुस्तकों का परीक्षण कर सकता है। और उसका copy ले सकता है। partnership deed kya hota hai
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साझेदारी संलेख का महत्व (Importance of partnersheep deed in hindi)
कानून के अनुसार partnership deed बनाना अनिवर्य नहीं है लेकिन कुछ कारणों वश इसको बनाना जरुरी हो जाते है।
साझेदारी संलेख का महत्व निम्नलिखित है :-
- साझेदारी संलेख प्रतेक साझेदार के अधिकारों, कर्तव्यों और दायित्वों को स्पष्ट करता है।
- इसके द्वारा साझेदारी में गलतफहमी को दूर करने में मदद मिलती है। क्यूंकि इसमें साझेदारी से सम्बंधित सभी नियम शर्तो को पहले से लिख लिया जाता है।
- साझेदारों के बिच होने वाले विवाद को आसानी से खत्म करने के सहायता मिलती है।
partnership deed kya hota hai
इस पोस्ट में हमने जाना की partnership deed kya hota hai और इसके कौन -कौन से नियम होते है आप comment box के माध्यम से अपने question को directly हम से पूछ सकते है।
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