Sunday, January 5, 2025

accounting for partnership firms fundamentals in hindi

Introduction (साझेदारी फर्मो के खाते)

accounting for partnership firms fundamentals in hindi :- एकाकी व्यापरी में केवल एक ही व्यक्ति द्वारा पूंजी लगाया जाता है, और वो सभी वयवसाय का जोखिम उठाता है। इसके साथ सभी पर नियंत्रण रखता है , लेकिन ये सभी कार्य अकेले संभव नहीं है इसलिए साझेदारी फर्म में कुछ व्यक्ति मिलकर एक साझेदारी द्वारा व्यवसाय पर नियंत्रण करते है इसको समझदारी फर्मो के खाते कहते है।

सांझेदारी एक तरह का आपस में विश्वास का संबंध है , और इसको कायम रखने के लिए ये जरुरी है की साझेदारी फार्म के खाते ईमानदारी से, शुद्धता से और न्यायपूर्ण तरीके से बनाया जाए।  साझेदारी खाते द्वारा वयवसाय का सही रूप प्रदर्शित करना चाहिए।

इसको सुनिश्चित  करने के लिए साझेदारी अधिनियम 1932 में साझेदारी के बारे में सभी जानकारी दी गयी है। जिसके बारे में हम आगे जानेगें।

accounting for partnership firms fundamentals in hindi

Definition of partnership in hindi 

साझेदारी की परिभाषा :-

भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 की धरा नंबर 4 में साझेदारी की परिभाषा इस तरह दी गयी है :-

“साझेदारी उन व्यक्तियों का प्रारम्भिक सम्बन्ध है जो की ऐसे वयवसाय के लाभों को बांटने के लिए सहमत होते  है जो उन सबके द्वारा और उनमे से किसी एक के द्वारा सभी और से संचलित किया जाता है। ”

“Partnership is the relation between persons who have agreed to share the profits of business carried on by all or any of them acting for all.”

Nature of partnership firm in hindi (accounting for partnership firms fundamentals in hindi)

साझेदारी फर्म की प्रकृति 

लेखांकन में साझेदारी को एक separate business entity माना  जाता है , और इसका समझदारो से अलग अस्तित्व होता है। लेकिन क़ानूनी रूप से साझेदारी फर्मो को अलग नहीं माना जाता है।

हम कह सकते है की इनका अस्तित्व साझेदारों से अलग नहीं है।  और इसका अर्थ ये होता है की यदि कभी साझेदारी फर्म दिवालिया हो जाती है तो ऐसी परस्थिति में साझेदारों की निजी सम्पतियाँ को भी फर्मो के ऋणों के भुगतान करने के लिए उपयोग की जा सकती है।

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Characteristics of Partnership in hindi

features of partnership in hindi

साझेदारी व्यवसाय के लाभ लिखिए

साझेदारी के लक्षण और विषेशताएँ :-

    1. दो या दो से अधिक व्यक्ति (Two more persons) :- हमेशा साझेदारी बनाने के लिए दो या दो से अधिक व्यक्ति की जरूरत होती है। और साझेदारी अधिनियम me साझेदारों की अधिकतम संख्या नहीं बतायी गयी है लेकिन कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 464 के अंतर्गत 50 से अधिक नहीं हो सकते है।
    2. साझेदारों के बिच ठहराव (Agreement between the partners) :- मुख्य रूप से साझेदारी एक ठहराव का परिणाम है।  और इसका निर्माण ठहराव से ही होता है न की कानून से।
    3. व्यवसाय की उपस्थिति और लाभ कामने का उदेशय (Existence of Business and profit Motive) :- साझेदारी का उदेस्य किसी तरह का वयवसाय करने के लिए होता है। और सभी व्यसाय का उदेश्य लाभ कमाना होता है। accounting for partnership firms fundamentals in hindi
    4. लाभों का बँटवारा (Sharing of Profits) :- ठहराव का उदेशय वयवसाय का लाभों का बटवारा होना चाहिए। और यदि कुछ व्यक्ति धार्मिक और दान देने से सम्बंधित ठहराव रखते है तो इसको साझेदारी नहीं कहा जा सकता ,ये भी जरुरी नहीं है की सभी साझेदार हानियों में भी हिस्सा ले।
    5. स्वामी और एजेंट का सम्बन्ध (Relationship of principle and agent) :- हर साझेदार फर्म का एक एजेंट भी होता है और स्वामी भी। एजेंट इस कारण से होता है, क्यूंकि वह अपने कार्यो से अन्य साझेदारी को नुक्सान पंहुचा  सकता है।  और स्वामी इस कारण से होता है क्यूंकि वह स्वं अन्य साझेदारों के कर्यो के लिए बाध्य  होता है। accounting for partnership firms fundamentals in hindi
    6. वयवसाय का संचालन सभी द्वारा और सभी की तरफ से कुछ साझेदारों द्वारा किया जा सकता है ( Business carried on by all or any of them acting for all) :- सभी partner (साझेदार) फर्म के कारोबार के संचालन में भाग ले सकते है और प्रतेक साझेदार फर्म के लिए अन्य साझेदारों के कर्यो के लिए बाध्य होते है। accounting for partnership firms fundamentals in hindi

Rights of a Partner in hindi ( साझेदार के अधिकार)

  1. प्रतेक partner को निश्चित किये गए percantage (अनुपात) में लाभ -हानि में भाग पाने का अधिकार होता है।
  2. हर साझेदार को वयवसाय के संचालन में भाग लेने का अधिकार होता है।
  3. प्रतेक partner (साझेदार) को ये अधिकार होता है की साझेदारी व्य्वसाय से सम्बंधित मामलो में उससे राय लिया जाए।
  4. हर एक साझेदार साझेदारी का सयुक्त स्वामी होता है।
  5. सभी साझेदार को लेखा पुस्तक को जाँच करने और प्रतिलिपि लेने का अधिकार होता है।
  6. हर साझेदार को ये अधिकार होता है की वह किसी नए साझेदार के प्रवेश पर रोक लगा सकता है।
  7. हर एक साझेदार को उचित नोटिश देने से पहले फर्म से अवकाश ग्रहण करने का अधिकार होता है।
  8. और यदि कोई साझेदार फर्म की तरफ से कोई खर्चा करता है और भुगतान करता है तो उसे फर्म से इसे वापिस पाने का अधिकार है। accounting for partnership firms fundamentals in hindi

ये भी पढ़े :-

  1. Cash book (रोकड़ बही) क्या है ?
  2. Cash book के लाभ क्या है ?

आज आप इस post (accounting for partnership firms fundamentals in hindi) में समझ ही गए होंगें की साझेदारी फर्मो के खाते क्या होते है ? और साझेदारी के लक्षण और विषेशताएँ , साझेदारी फर्म की प्रकृति क्या है ? इसके अतिरिक्त आप यदि अन्य साझेदारी के रूप में अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप हमें comment कर सकते है। धनयवाद

rights and duties of partners in partnership act, 1932

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