लेखांकन सिद्धांत की आवश्य्कता क्या है ?
Need of accounting principles class 11 :- लेखांकन को सही ढंग से बनाने के लिए हमें लेखांकन सिद्धांतो की अवयस्कता होती है , इसमें विभिन्न सूचनाएं के बीच तुलना की जाती है जिससे अधिक जानकारी प्राप्त होती है। ये सभी नियम GAAP द्वारा नियंत्रित किये जाते है।
लेखांकन के सिद्धांतो के प्रकार ( Kinds of accounting principles ) क्या है ?
लेखांकन के सिद्धांतो के नाम कई तरह के है , जैसे conventions , assumptions , concepts , doctrines , postulates आदि।
हम इन सभी के आधार पर लेखांकन के सिद्धांतो को दो भागो में बाँट सकते है।
- लेखांकन परिपाटियाँ ( Conventions )
- लेखांकन अवधारणाएँ ( Concepts ) या मान्यताएं ( Assumptions )
- लेखांकन अवधारणाएँ ( Concepts ) या मान्यताएं ( Assumptions )
लेखांकन अवधारणाएँ ( Concepts ) या मान्यताएं ( Assumptions ) क्या है ?
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लेखांकन को सभी व्यक्तियों में एक जैसा बनाने के लिए लेखांकन में कुछ अवधारणाएं और कुछ मानवताये द्वारा लेखाकरण किया जाता है बिना इनके कोई वित्तीय विवरण को नहीं बनाया जा सकता।
इस कारण वित्तीय विवरण को बनाने के लिए निंम्नलिखित मूल अवधारणाएँ होते है।
- व्यवसाय के अस्तित्व की अवधारणा
- मुद्रा माप की अवधारणा
- व्यवसाय की चालू स्थिति की अवधारणा
- लेखा अवधि की अवधारणा
- लागत अवधारणा और ऐतिहासिक लागत अवधारणा
- दो पहलू अवधारणा
- मिलान की अवधारणा
- उपार्जन की अवधारणा
- निरपेक्षता की अवधारणा
लेखांकन परिपाटियाँ ( Conventions ) क्या है ?
लेखाकारों द्वारा सर्वमान्य रूप से स्वीकृत किये गए पक्षों को लेखांकन परिपाटियाँ कहते है , ये सभी के सहमति द्वारा अपनाया जाता है।
लेखांकन परिपाटियाँ लेखांकन अवधारणाएँ से निम्न तरीके से अलग होते है :-
- लेखांकन अवधारणाओं को सभी जगह लागु किया जा सकता है लेकिन हम लेखांकन परिपाटियों को नहीं कर सकते है।
- लेखांकन अवधारणाये कानून द्वारा बनाया जाता है , जबकि लेखांकन परिपाटियाँ दिशा – निर्देश द्वारा बनाया जाता है।
विभिन तरह के लेखांकन परिपाटियां निम्नलिखित है :-
- एकरूपता की परिपाटी
- पूर्ण प्रकटीकरण की परिपाटी
- संरतका या रूढ़िवादिता की परिपाटी
- सारता की परिपाटी
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