कंपनियों के खाते – अंशो का निर्गमन
company accounts issue of shares class 12 notes in hindi – कमापनियों के खाते – अंशो का निर्गमन के अंदर हम जानेगें की कंपनी क्या होती है ये कितने तरह की होती। अंश क्या होते है और इसका क्या प्रयोग है, अंश कितने तरह के होते है। जानने के लिए यहाँ क्लिक करके पढ़े।
Meaning of company? कंपनी का अर्थ
व्यावसयिक संगठन के एकाकी स्वामित्व और साझेदारी प्रारूप एक बड़े व्यव्साय की बढ़ती हुई अवयसकताओ को पूरा नहीं ऐसा इस्सलिये क्यूंकि इनकी सीमाएं है जैसे की सिमित पूंजी , सिमित प्रबंधकीय योग्यता , असीमित दायित्व और अन्य कमिया आदि। इस कारण व्यवसयिक संगठन के एकाकी स्वामित्व और साझेदारो प्रारूपों की कमियों को दूर करने के लिए व्यवसायिक संगठन का कमपनी प्रारूप अस्तित्व में आया।
कंपनी क्या है :- एक कंपनी कुछ व्यक्तियों का एक ऐच्छिक संघ (योग) है जिसका निर्माण कानूनी प्रक्रिया के द्वारा होता है और इसका उदेस्य कोई व्य्वसाय करने का होता है।
कंपनी की परिभाषा – जस्टिस लिंडले के अनुसार कंपनी की परिभाषा निम्न है – “कंपनी बहुत से व्यक्तियों की एक संथा है, जो की द्रव या उसके बराबर का अंशदान एक सयुंक्त कोष में जमा करते है और इसका प्रयोग एक निश्चित उदेस्य के लिए करते है। “
कंपनी की विशेषताएँ क्या है ? characteristics of company in hindi
कंपनी की विशेषताएँ निम्नलिखित है :-
- पृथक वैधानिक अस्तित्व (Seperate Legal Entity)
- स्थायी जीवन (Perpetual Existence)
- सीमित दायित्व (Limited Liability)
- सार्वमुद्रा (Common Seal)
- अंशो की हस्तान्तरणीय (Transferability of Shares)
- प्रबंध का स्वामित्व से अलग होना (Seperation of Management from ownership)
पृथक वैधानिक अस्तित्व क्या है ?
कंपनी एक क़ानूनी व्यक्ति होता है और इसका अस्तित्व इसके सदस्यों से पृथक होता है। कंपनी अपने नाम से सम्पतियो का क्रय – विक्रय कर सकती है , और अपने नाम से बैंक में भी खता खोल सकती है और अपने नाम से अनुबंध भी कर सकती है। क्यूंकि इसका एक अलग अश्तित्व भी होता है।
स्थायी जीवन (Perpetual Existence) क्या है ?
कंपनी के जीवन काल पर इसके सदस्यों के छुट्टी ग्रहण, मित्यु, पागलपन,दिवालिएपन आदि का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। अंशधारी आते रहते है और जाते रहते है लेकिन कंपनी हमेशा ही चलती रहती है , जब तक की कंपनी अधिनियम के अनुसार इसका पूर्ण समापन न कर दिया जाये।
सीमित दायित्व (Limited Liability) क्या है ?
कंपनी के अंशदारी का दायित्व उसके अंशो के अदत्त मूल्य तक ही सिमित रहता है। जैसे की यदि किसी कंपनी के एक अंश का दिया गया मूल्य 20 रूपए है और यदि किसी अंशधारी ने पहले ही 18 रूपए चूका दिए है तो उससे 2 रूपए प्रति अंश से अध्क नहीं मंगाए जा सकते है।
सार्वमुद्रा (Common Seal) क्या है ?
कंपनी का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता है इस कारण यह अपने agents के माध्यम से कार्य को पूर्ण करती है जिन्हे संचालक कहा जाता। संचालको द्वारा तैयार किये गए सभी प्रलेखो पर कंपनी की सार्वमुद्रा अंकित होनी चाहिए। सार्वमुद्रा कंपनी के हस्ताक्षर का कार्य करती है।
अंशो की हस्तान्तरणीय (Transferability of Shares) क्या है ?
कंपनी की पूंजी हिस्सों में विभाजित होती है और हर तरह के हिस्से को अंश कहते है। यह अंश कुछ शर्तो के अंतर्गत सवतंत्र रूप से हस्तनितरणीय होते है।
प्रबंध का स्वामित्व से अलग होना (Seperation of Management from ownership) क्या है ?
अंशधारी कंपनी के वास्तविक स्वामी होते है लेकिन इनकी संख्या बहुत अधिक होने के कारण न तो यह संभव है और न ही उचित है की सभी अंशधारी कंपनी के प्रतिदिन के प्रबंध में शामिल हो। इस कारण कंपनी का प्रबंध अंशधारियों द्वारा चुने गए ‘संचालक मंडल’ द्वारा किया जाता है।
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