الأربعاء، 30 أكتوبر 2024

Advantages of accounting standards in points

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  1. लेखांकन प्रमाप वित्तीय विवरणों को एकरूपता और तुलंनात्मक प्रदान करते है। advantages of accounting standards in points 
  2. लेखांकन प्रमाप वित्तीय विवरणों की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता में सुधार लाते है।
  3. लेखांकन प्रमाप विभिन पक्षकारो के बीच वित्तीय हितो के संघर्ष को सुलझाने में सहायक होते है।
  4. लेखांकन प्रमाप हेराफेरी और कपट की संभावनाओं को कम करते है।
  5. auditors को सहायता प्रदान करते है।

लेखांकन प्रमाप वित्तीय विवरणों को एकरूपता और तुलंनात्मक प्रदान करते है 

लेखांकन प्रमाप कई organization के बीच वित्तीय विवरणों में तुलना को प्रदर्शित करते है , और इसके द्वारा विभिन्न अवधिं के बीच में तुलात्मंक अध्यन करने में मदद मिलती है , ये वित्तीय विवरण बनाते समय प्रयोग की जाने वाली अवधारणाएँ , मानयताएं , नियमों  की तुलना करती है जिससे की संस्था को लाभ प्राप्त होता है।

लेखांकन प्रमाप वित्तीय विवरणों की विश्वसनीयता और प्रमाणिकता में सुधार लाते है

किसी भी संस्था में लेखांकन सूचनाओं में हिट रखने वाले अनेक पक्ष्कार होते है , जैसे प्रबंधक , विनियोगकर्ता , लेनदार , कर्मचारी , सरकारी अधिकारी , अनुसंधानकर्ता आदि इसलिए ये अवयस्क है की संस्था द्वारा वित्तीय विवरण का सही लेखा और परिणाम दिखाना ज़रूरी है , लेखांकन प्रमाप द्वारा सभी को समान दिशा – निर्देश देता है और लेखांकन की सूचनाएं प्रदान करता है , जिससे की है विश्वास उत्पन्न होता है। 

लेखांकन प्रमाप विभिन पक्षकारो के बीच वित्तीय हितो के संघर्ष को सुलझाने में सहायक होते है

कभी किसी कारणवश वित्तीय विवरणों में हित रखने वाले पक्षकारो के बीच वित्तीय हितो में संघर्ष हो जाता है , जैसे की किसी संस्था द्वारा अधिक लाभ अर्जित करना या उसके shares के मूल्य में वृद्धि होना।

लेखांकन प्रमाप हेराफेरी और कपट की संभावनाओं को कम करते है

लेखांकन प्रमापों द्वारा होने वाले हेराफेरी , और कपट खत्म हुए है , और इसके द्वारा एक स्पष्ट लेखांकन सामने आया है। 

Auditors को सहायता प्रदान करते है

auditors को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती  है.की वित्तीय स्थिति सही है या नहीं , ऑडिटर्स द्वारा इन सभी लेखा को verify करने में मदद मिलती है 

Nature of accounting standards in hindi

Nature of accounting standard in hindi 

  1. इसके द्वारा से एक से अधिक लेखांकन समस्याओं को ठीक करने के लिए एक अच्छी पद्धति है।
  2. ये वित्तीय विवरण तैयार करने वाले लेखकरो को सुचना प्रदान करता है की वित्तीय विवरण किस आधार पर तैयार किया गया है।
  3. लेखांकन प्रमाप लेखांकन नीतियों के द्वारा कार्य करता है , और ये सुनिश्चित करता है की लेंन -देनो और घटनाओ को किस तरह से लेखांकन किया जाये , और इनका वित्तीय विवरण किस तरह से बनाया जाये प्रदर्शित किया जाये।
  4. लेखांकन प्रमापों द्वारा अलग -अलग प्रकार  के नीतियों और व्यवाहरो से होने वाले प्रभावो को दूर करता है जिसे व्यवसियक इकाइयों में तुलना करना संभव हो जाता है।
  5. इसके द्वारा सीमा को निर्धारित किया जाता है , जिसके द्वारा लेखाकरो को कार्य करने में आसानी आती है।

what is accounting standards in hindi

 Accounting standards क्या है ?

what is accounting standards in hindi :- accounting standards एक मानक है जिसके अनुसार किसी भी कंपनी का लाभ हानि स्थिति विवरण , वित्तीय विवरण सभी इन प्रमाप के आधार से  होना चाहिए ये मानक Indian institute of charted accountant द्वारा संशोधित कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 133 के अंतर्गत कार्य करती है , और ये सभी नियम केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित किये जाते है

Concepts of accounting standards in hindi

लेखांकन प्रमापों को लेखांकन संस्थाओ द्वारा प्रकासित किये गए विवरणों द्वारा परिभाषित किया जा सकता है , जिसमे वित्तीय स्थिति बनाने के लिए के समान नियम और व्यवाहर निश्चित किये गए हो।

Need of accounting principles class 11 in hindi

लेखांकन सिद्धांत की आवश्य्कता क्या है ?

Need of accounting principles class 11 :- लेखांकन को सही ढंग से बनाने के लिए हमें लेखांकन सिद्धांतो की अवयस्कता होती है , इसमें विभिन्न सूचनाएं के बीच तुलना की जाती है जिससे अधिक जानकारी प्राप्त होती है। ये सभी नियम GAAP द्वारा नियंत्रित किये जाते है।

लेखांकन के सिद्धांतो के प्रकार ( Kinds of accounting principles ) क्या है ? 

लेखांकन के सिद्धांतो के नाम  कई तरह के है , जैसे conventions , assumptions , concepts , doctrines , postulates आदि।

हम इन सभी के आधार पर लेखांकन के सिद्धांतो को दो भागो में बाँट सकते है।

  1. लेखांकन परिपाटियाँ ( Conventions )
  2. लेखांकन अवधारणाएँ ( Concepts ) या मान्यताएं ( Assumptions )
  1. लेखांकन अवधारणाएँ ( Concepts ) या मान्यताएं ( Assumptions )

लेखांकन अवधारणाएँ ( Concepts ) या मान्यताएं ( Assumptions ) क्या है ? 

need of accounting principles class 11 in hindi

लेखांकन को सभी व्यक्तियों में एक जैसा बनाने के लिए लेखांकन में कुछ अवधारणाएं और कुछ मानवताये द्वारा लेखाकरण किया जाता है बिना इनके कोई वित्तीय विवरण को नहीं बनाया जा सकता। 

इस कारण वित्तीय विवरण को बनाने के लिए निंम्नलिखित मूल अवधारणाएँ होते है। 

  1. व्यवसाय के अस्तित्व की अवधारणा 
  2. मुद्रा माप की अवधारणा 
  3. व्यवसाय की चालू स्थिति की अवधारणा 
  4. लेखा अवधि की अवधारणा 
  5. लागत अवधारणा और ऐतिहासिक लागत अवधारणा 
  6. दो पहलू अवधारणा 
  7. मिलान की अवधारणा 
  8. उपार्जन की अवधारणा 
  9. निरपेक्षता की अवधारणा 

लेखांकन परिपाटियाँ ( Conventions )  क्या है ?

लेखाकारों द्वारा सर्वमान्य रूप से स्वीकृत किये गए पक्षों को लेखांकन परिपाटियाँ कहते है , ये सभी के सहमति द्वारा अपनाया जाता है। 

लेखांकन परिपाटियाँ लेखांकन अवधारणाएँ से निम्न तरीके से अलग होते है :-

  1. लेखांकन अवधारणाओं को सभी जगह लागु किया जा सकता है लेकिन हम लेखांकन परिपाटियों को नहीं कर सकते है। 
  2. लेखांकन अवधारणाये कानून द्वारा बनाया जाता है , जबकि लेखांकन परिपाटियाँ दिशा – निर्देश द्वारा बनाया जाता है। 

विभिन तरह के लेखांकन परिपाटियां निम्नलिखित है :-

  1. एकरूपता की परिपाटी 
  2. पूर्ण प्रकटीकरण की परिपाटी 
  3. संरतका या रूढ़िवादिता की परिपाटी 
  4. सारता की परिपाटी 

Accounting principles kya hai

Meaning of Accounting Principles ( लेखांकन सिद्धांतो का अर्थ )

Accounting principles kya hai :- पहले के समय में लेखांकन विवरणों को केवल व्यवासय के स्वामी की ही जररूत होती थी , लेकिन अब व्यवसाय में हित रखने वाले विभिन पक्षकारो जैसे :- विनियोगकर्ता , व्यवसाय के स्वामी , लेनदार , सरकार को इनको जरूरत होती है , लेखांकन विवरण पक्षकारो के सामने व्य्वसाय को लाभप्रदर्ता और क्षमता को दिखात है , और ये सभी विवरण एक निश्चित नियमो के आधार पर बनाये जाते है , इस कारण ये नियम सर्वमान्य लेखांकन  सिद्धांत कहलाता है। 

लेखांकन सिद्धांत की प्रकृति और विशेषतएं ( nature of accounting principles in hindi ) accounting principles in hindi

  1. लेखांकन सिद्धांत एक मार्गदर्सक और एक सामान नियम है , जिसका प्रयोग लेखांकन सूचनाओं को एक जैसा बनाने और आसानी से समझने योग्य बनाने के लिए किया  जाता है। 
  2. लेखांकन principles मानवकृत है , इनका निर्माण अनुभव के आधार पर किया गया है। 
  3. ये principles स्थिर नहीं होते , और कुछ नीतियां बदलने के बाद इसमें भी परवर्तन आता रहता है। 
  4. लेखांकन principles किसी भी स्वीकार्यता पर निर्भर नहीं करती है। 

 

 

 

 

 

Basic terms of accounting in hindi

Basic terms of accounting क्या है ?

Basic terms of accounting in hindi :- accounting के कुछ ऐसे आधारभूत terms ( शब्द ) है , जिनका प्रयोग हम accounting में प्रतिदिन करते है , इस कारण जब हम पुस्तक बनाते है तो इन सभी शब्दो का प्रयोग करते है , इसलिए हमे पुस्तक बनाने से पहले इन शब्दो का ज्ञान होना आवश्यक है , जिसके बिना हम लेखांकन को सही से नहीं कर सकते , इन शब्दो को हम accounting terminology ( लेखांकन शब्दावली ) भी कहते है।

Basic terms of accounting class 11 in hindi

  1. सम्पत्तियाँ ( Assets )
  2. दायित्व ( Liability )
  3. पूँजी ( Capital )
  4. व्यय ( Expenses )
  5. आय ( Income )
  6. खर्च ( Expenditure )
  7. आगम ( Revenue )
  8. व्यापारिक प्रापय ( Trade Receivables )
  9. व्यापारिक देताये ( Trade payables )
  10. माल ( Goods )
  11. लाभ ( Gain )
  12. लागत ( Cost )
  13. स्टॉक , रहतिया ( stock or inventory )
  14. विक्रय ( Sales )
  15. क्रय ( Purchase )
  16. हानि ( Loss )
  17. Profit ( लाभ )
  18. प्रमाणक ( Voucher )
  19. कटौती ( Discount )
  20. व्यापारिक लेन -देन ( Business Transactions )
  21. घटना ( Event )
  22. प्रविष्टि  ( Entry )
  23. आहरण ( Drawing )
  24. डूबत ऋण ( Bad Debts )
  25. दिवालिया ( Insolvent )
  26. सक्षम ( Solvent )
  27. स्टोर ( Stores )
  28. इकाई ( Entity )
  29. Turnover
  30. पसुधन ( Live stock )
  31. विनियोग ( Investments )

सम्पति ( assets )  क्या है ? Basic terms of accounting in hindi

व्यवस्याय की वो सभी वस्तु जिसपर  वयापारी का स्वामित्व होता है सम्पत्तियाँ कहलाती है ,इसमें देनदार के रुपये को भी शामिल किया जाता है , या ऐसी कोई भी वस्तु जिसके माध्यम से व्यवसाय को लाभ प्राप्त होती है ये सभी संपतिया होती है ,  Basic terms of accounting in hindi में उदहारण के लिए जैसे :- बैंक शेष और नकदी , stock , furniture , machinery , भूमि , bill receivables अदि।

Types of assets in hindi 

  1. गैर – चालू सम्पत्तियाँ ( Non – current assets )
    1. मूर्त सम्पत्तियाँ ( Tangible )
    2. अमूर्त सम्पत्तियाँ ( Intangible Assets )
  2. चालू सम्पत्तियाँ ( Current assets )
  3. खराब सम्पतियाँ

1 .  गैर – चालू सम्पत्तियाँ ( Non – Current assets ) क्या है ?

ये वो संपत्ति होती है जिनका प्रयोग उत्पादन के लिए किये जाता है और लम्बे समय के लिए इस तरह के संपत्ति को खरीदा जाता है , और इसको कभी sale नहीं  किया जाता। इसके उदहारण इस तरह है :- भूमि – भवन , furniture , मशीन आदि Basic terms of accounting in hindi

जाने लेखांकन  के लाभ यहां क्लिक करे। 

मूर्त सम्पत्तियाँ ( Tangible Assets ) क्या है ?

मूर्त संपत्तियां वो सम्पत्ति होती है जिनको देखा और छूआ जा सकता है यानी जिनका भौतिक अस्तित्व होता है. Exmaple :- भवन, भूमि, मशीन, फर्निचर, गाड़ी, स्टॉक, जमा राशि. Basic terms of accounting in hindi

अमूर्त संपत्तियां (Intangible assets) क्या है ?

अमूर्त संपत्तियां वो सम्पति होती है जिनको हम देख और छू नहीं सकते ना ही इनका कोई भौतिक अस्तित्व होता है, जैसे :- trade marks, goodwill, patents, copyright, software आदि.

2. चालू संपत्तियां ( Current assests) क्या है?

Basic terms of accounting in hindi में चालू संपत्तियां हमारी वो assets होते है जिनको हम फिर से विक्रय के लिए रखते है, इनको हम एक वर्ष के अंदर cash मे बदलने के लिए भी रखते है. इस asset को हम short lived और active assets भी कहते है.

जैसे :- माल के विक्रय के साथ – साथ प्राप्य बिलों की वसूली होती रहती है देनदार दुआरा थोड़े समय मे रोकर आते रहते है.

3. खराब सम्पतियाँ ( wasting assets )  क्या है ?

ये सम्पतियाँ वो assets होते है जिनका हम प्रयोग करके खत्म कर देते है जैसे – खाने से तेल निकाल कर अधिक लिख अर्जित करना लेकिन समय  के अनुसार इनके मूल्य में परिवर्तन होता है।  जो की नुक्सान का कारण बन सकता है , ख्रराब सम्पति हम इन्ही assets को कहते है जिनका मूल्य समय के अनुसार कम होता  रहता है।

दायित्व ( Liability ) क्या है ?

यह वो राशि होती है , जिसको व्यवासय में अन्य पक्षों ( स्वामी को छोड़कर )  को देनी होती है , दायित्व कहलाती है। दायित्व को हम दायित्व = सम्पतियाँ -पूँजी द्वारा भी समझ सकते है।

दायित्व types in hindi 

  1. गैर -चालू दायित्व ( non – current liabilities ) Basic terms of accounting in hindi
  2. चालू दायित्व ( Current liabilities )

गैर -चालू दायित्व ( non – current liabilities )  क्या है ?

ये वो दायित्व होते है जिनका भुगतान लम्बे समय ( एक वर्ष से अधिक ) के बाद करनी होती है , गैर चालू दायित्व कहलाती है। जैसे :- long term loans ,debentures आदि।

चालू दायित्व ( current liabilities )  क्या होता है ?

ये ऐसे दायित्व होते है जिनका भुगतान जल्द भविष्य ( एक वर्ष के अंदर )  में ही करना होता है , current liabilities कहलाती है। जैसे :- bank overdraft , bills payable , outstanding expenses , creditors ,short term loans आदि।

पूँजी ( capital ) क्या है ?

वह धन जो किसी व्यवसाय को चलने के लिए स्वामी द्वारा लगाया गया है पूंजी कहलाता है , इस पूँजी के द्वारा ही व्यवासय में कच्चा माल , मशीन आदि को खरीदा जाता है।  पूंजी की राशि को calculate करने के लिए हम व्यवसाय की सभी चालू स्थाई सम्पतियो को जोड़कर सभी देनदार को घटा देते है।

पूँजी = सम्पतियाँ – देनदारियाँ

व्यय ( Expenses ) क्या है ?

किसी माल और सेवाओं को बनाने और विक्रय करने में जो लागत आती है उसे व्यय कहते है।

व्यय के अंदर हम इन सभी मतों को शामिल करते है।

  1. किराया , वेतन , कमीशन , विज्ञापन व्यय आदि
  2. विक्रय की गए माल ( goods ) की लागत।
  3. समय के अनुसार व्यवासय में प्रयोग की जानी वाली machine में लागत में कमी आने के व्यय को भी शामिल किया जाता है।

आय ( Income ) क्या है ?

आगम में से व्यय को घटाकर जो राशि बचती है उसको आय कहते है , माल को विक्रय करने से जो राशि प्राप्त होती है उसको आगम ( revenue ) कहते है और बचे हुए माल की लगत को व्यय कहते है।

Basic terms of accounting in hindi में Example :- जैसे की कुल विक्रय 3,00,000 है और विक्रय किये गए कुल माल की लागत 2,00,000 है , तो 3,00,000 को आगम कहा जायेगा 2,00,000 को व्यय कहा जायेगा और शेष  1,00,000 को आय कहा जायेगा।  आय ( Income ) = आगम ( Revenue ) – व्यय ( Expenses )

खर्च ( Expenditure ) क्या है ?

व्यवसाय में लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला कोई भी भुगतान खर्च कहलाता है , इसके अतिरिक्त संपत्ति , सेवाएं माल प्राप्त करने के लिए किया जाना वाला कोई भी भुगतान खर्च कहलाता है।

खर्च को दो भागो में बांटा जा सकता है।

  1. पूंजीगत खर्च ( Capital Expenditure )
  2. आयगत खर्च ( Revenue Expenditure )

पूँजीगत खर्च  ( capital expenditure ) क्या है ?

ऐसा खर्च जो किसी स्थायी सम्पति की खरीदने और उसके मूल्य वृद्धि करने में किया जाता है पूँजीगत खर्च कहलाता है।

आयगत ख़र्च ( Revenue Expenditure ) क्या है ?

ये ऐसा खर्च होता है जिसका सम्पूर्ण लाभ एक लेखांकन अवधि में प्राप्त हो जाता है , आयगत खर्च कहलाता है।

आगम ( Revenue ) क्या है ?

किसी भी स्त्रोत द्वारा प्राप्त होनी वाली ऐसी आय है , जो की नियमित रूप से आती रहती है , इसके अंदर माल के विक्रय से प्राप्त होने वाली राशि को भी शामिल किया जाता है।

व्यापारिक प्रापय ( Trade Receivables )  क्या है ?

किसी व्यवसाय में कम्पनी में माल और सेवाएं में आदान प्रदान चलता रहता है , इस कारन trade receivables वो राशि है जो की कंपनी के संचालन में क्रय विक्रय आदि में प्राप्य ( Receivables ) होते है। इसके अंदर देनदार और bills receivables को शामिल किया जाता है।

व्यापारिक देयताएं ( Trade Payables ) क्या है ?

trade payables वो राशि होती है जो की व्यवसाय में व्यवसियक क्रियाओ में माल के क्रय और विक्रय में सम्बन्ध में जो राशि दी जाती है उससे सम्बंधित है , इसके अंदर लेनदार और bills payables को शामिल किया जाता है।

माल ( Goods ) क्या है ? 

goods ( माल ) वो सभी वस्तु है जिनका प्रयोग व्यवासय में विक्रय के लिए किया जाता है और क्रय किये जाने वाले माल द्वारा अन्य product बनाकर विक्रय के लिए तैयार किया जाता है :- जैसे की कोई कंपनी कुर्सी , furniture आदि बनाने का काम करती इसके लिए सबसे पहले कंपनी को कच्चा माल की जररूत होगी इसके लिए ओर क्रय करेगा , और इस फर्नीचर मालिक के अनुसार वो इसको माल कहेगा लेकिन व्यवासय में आने के बाद ये furniture संपत्ति कहलाएगी। Basic terms of accounting in hindi

लागत ( Cost ) क्या है ?

लागत वह व्यय है जो की किसी एक निश्चित वस्तु को पर या उसके क्रिया पर की जाती है , या किसी वस्तु और सेवाओं को प्राप्त करने के बाद जो जो इसकी राशि दी जाती है लागत कहलाती है। ये मुद्रा के रूप में भी हो सकते और अन्य साधन के रूप में भी।

लाभ ( Gain ) क्या है ?

व्यवसाय में होने वाले लेन -देन के द्वारा होने वाले प्राप्त मौद्रिक लाभ से है , जैसे किसी सम्पति के विक्रय से होने वाला लाभ न्यायालय में चल रहे किसी मुकदमे में होने वाली जीत , या किसी भवन को क्रय मूल्य से ज्यादा में विक्रय करना  आदि।

स्टॉक , रहतिया या स्कन्ध ( stock or inventory ) क्या है ?

रहतिया वो goods होते है जो की वित्तीय वर्ष में बिकने से रह जाते है , और इस कारण इस stock को दो भागो में बाँटा गया है , जब company  द्वारा जिस वर्ष के खाते बनाये जा रहे है उसके प्रारम्भ में इस रहतियो को हम opening stock में दिखा देते है और वर्ष के अंत में इसको हम closing stock दिखाते है।

रहतिये के प्रकार ( types of stock ) Basic terms of accounting in hindi

  1. कच्चे माल का  stock
  2. चालू कार्य ( work in progress )
  3. पूर्ण निर्मित माल का रहतिया

कच्चे माल का stock क्या है ?

इसमें उस stock को रखा जाता है जिसका क्रय किसी तैयार माल को बनाने के लिए किया गया हो लेकिन अभी तक इसका प्रयोग नहीं किया गया हो , जैसे स्टील निर्माता कंपनी द्वारा कच्चे माल के रूप में रखा गया अभ्रक , कार्बन आदि।

चालू कार्य stock क्या है ?

इसमें वो सभी माल को सम्मिलित किया जाता है , जिनका निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है यानी इसको पूरा  तैयार होने में अभी समय लगेगा। और इसमें प्रयोग होने वाली जैसे कच्चे माल की लागत , श्रम , पूँजी , ईंधन , आदि सभी को जोड़ा जाता है। Basic terms of accounting in hindi

पूर्ण निर्मित माल का रहतिया क्या है ?

वित्तीय वर्ष के आंत में जो तैयार माल बन जाता है और बिक नहीं पता है वो पूर्ण निर्मित माल या रहतिया कहलाता है।

क्रय ( Purchases ) क्या है ?

व्यवसाय में प्रयोग की जाने वाली वह सभी माल जिनका प्रयोग व्यापार करने के लिए ख़रीदा जाता है , मुखता कंपनी में सबसे पहले कच्चे माल खरीदा जाता है , और माल को हम पुनः खरीदते है और बेकते रहते है।

Basic terms of accounting in hindi में क्रय शब्द में माल का cash purchases और credit purchases दोनों को सम्मिलित किया जाता है।

विक्रय ( Sales ) क्या है ?

विक्रय यानी किसी माल और सेवा का एक निश्चित मूल्य पर दी जानी वाली ownership है , या जो माल विक्रय के लिए खरीदा जाता है उसको ही हम विक्रय कह सकते है।

विक्रय शब्द में माल की cash sales और credit sales दोनों को शामिल किया जाता है।

हानि ( Loss ) क्या है ?

व्यवसाय में किसी कारण से हुए  नुक्सान  है , इसमें दो मदो को शामिल किया जाता है , इसमें व्यवसाय के व्ययों के आगम को सूचित किया जाता है , दूसरा मद कोई ऐसा निर्णय जिससे कंपनी को कोई लाभ प्राप्त नहीं होता।  और company में होने वाले कई नुक्सान है जैसे :- चोरी होना , आग लगना , प्रकृतिक दुर्घटना होना।

लाभ ( Profit ) क्या है ?

लाभ किसी व्यवासिक संथा के एक वित्तीय वर्ष कुल व्ययों पर कुल आयामों के difference से है। Basic terms of accounting in hindi

प्रमाणक ( voucher ) क्या है ?

प्रमाणक एक प्रपत्र है , जिसके द्वारा व्यवासिक लेन -देनो को सबसे पहले लेखांकन पुस्तकों में लेखकित किया जाता है , और इसमें प्रत्येक लेन -देनो के लिए अलग -अलग एक प्रमाणक तैयार किया जाता है , इससे ये स्पश्ट होता है कौन सा खाता डेबिट किया जाना है और कौन सा क्रेडिट किया जाना है। Basic terms of accounting in hindi

कटौती ( Discount ) क्या है ?

ये वो छूट है जो एक विक्रेता द्वारा क्रेता को दी जाती है।

ये दो प्रकार की होती है।

  1. व्यपारिक छूट ( Trade discount )
  2. नकद छूट ( Cash discount )

व्यापारिक छूट ( Trade discount ) क्या है ?

जब विक्रेता द्वारा ग्राहकों को माल के list price पर एक निश्चित प्रतिशत से छूट दी जाती है तो इसको व्यापारिक छूट कहते है , और छूट की लेखा पुस्तकों में कोई entry नहीं की जाती , और इसके कैस मेमो में ही कुल मूल्य में से घटा दिया जाता है।

नकद छूट ( Cash discount ) क्या है ?

जब ग्राहकों को निश्चित समय पर भुगतान  करने के लिए छूट दी जाती है तो इसको नकद छूट कहते है।

व्यापारिक लेन -देन ( Business Transaction ) क्या है ?

ये एक आर्थिक क्रिया है को की व्यवासय की वित्तीय स्थिति में परिवर्तन का कारण बनती है , इसके वजह से जब कभी कोई लेन -देन होता है तो कुछ सम्पतियाँ , पूँजी और दायित्व में परिवर्तन आ जाते है। Basic terms of accounting in hindi

व्यापारिक लेन -देन की विशेषताएं 

  1. लेन -देनो को दो भागो में बांटा गया है एक internal और एक external .
  2. इससे द्वारा व्यवासय की वित्तीय स्थिति में परिवर्तन होता है।
  3. ये है आर्थिक क्रिया है।
  4. इसको मुद्रा के रूप में नहीं मापा जा सकता।

घटना ( event ) क्या है ?

किसी लेन -देन का निष्कर्ष और परिणाम को घटना कहते है।  जैसे किसी लेन -देन को सभी entry को दिखाना।

आहरण ( Drawing ) क्या है ?

व्य्वसाय के मालिक द्वारा अपने निजी कार्य के लिए firm से निकाली गयी राशि को drawing कहते है।

प्रविष्टि ( Entry ) क्या है ?

लेखा -पुस्तक में जब किसी लेन -देनो का लेखा किया जाता है , तो ये  entry कहलाता है।

डूबत ऋण ( Bad debts ) क्या है ?

यह वो राशि होती है जो अभी देनदार से प्राप्त नहीं हुई होती है , और इसके प्राप्त होने की सम्भवना भी समाप्त हो जाती है , इस कारण इसको लाभ -हानि खाते में डेबिट कर दिया जाता है। Basic terms of accounting in hindi

दिवालिया ( Insolvent ) क्या है ?

कोई व्यक्ति या organization जो की ऋण चुकाने की के काबिल नहीं होता दिवालिया कहलाता है।

सक्षम ( Solvent ) क्या है ?

वो व्यक्ति और organization जो की ऋण चुकाने के काबिल होता है solvent कहलाता है।

स्टोर ( Stores ) क्या है ?

व्यवसाय में स्टोर से ये अभिप्राय है की जो एक संस्था द्वारा पुन्ना विक्रय के लिए नहीं होता , इनका प्रयोग संस्था अपने निजी प्रयोग के लिए करता है , जैसे :- oil , packaging goods , ग्रीस आदि।

इकाई ( Entity ) क्या है ?

ये एक ऐसी इकाई है जिसकी स्थापना सेवा प्रदान करने के लिए और माल का विक्रय करके लाभ अर्जित से है।

Turnover क्या है ?

किसी विशेष समय में की गई कुल बिक्री को turnover कहते है। Basic terms of accounting in hindi

Live stock  पशुधन क्या है ?

पालतू पशु को पशुधन कहते है।

विनियोग ( Investments ) क्या है ?

लाभ अर्जित करने के लिए कंपनियों के shares को और ऋणपत्रो में लगाने से है।

उम्मीद है आपको Basic terms of accounting in hindi में सभी definition सही तरह समझ आ गयी होगी , यदि आपका कोई सुझाव है तो हमे comment करे हम आपके हर तरह के question का answer देने के लिए यहाँ हमेशा उपस्थित है। Techkaushal

statistical process control spc kya hai

Statistical process control ( Spc ) क्या है ?

Statistical process control spc kya hai :- एक fundamental approach है , जिसमे data को analysis करके quality control किया जाता  है और उसमे improvement किया जाता है। statistical process control में हम निम्नलिखित को analysis करते है।

  • Process को Measure करना ( Measure the process )
  • Process में आने वाले Variances को Eliminate करना ( Eliminate Variances in the process )
  • Process को Monitor करना ( Monitor The Process )
  • Process को Improve करना ( Improve the process )

Spc की जरूरत क्यों है ? statistical process control spc kya hai

Detection – Tolerates Waste

Prevention – Avoids Waste

Meaning Of Detection in hindi  

Detection का मतलब inspection के results को confirmation करना है , इसको good और bad parts को sorting करके किया जाता है। ये जब किया जब defected parts बन जाते है।  इससे हमारे resources जैसे Man , Machine, Material , और Method का loss होता है। Statistical process control spc kya hai 

क्या 100 % Inspection किसी part के problem को खत्म कर देता है ?

एक example के द्वारा समझते है :- इस paragraph में ‘e’  को counting करे 

The learning  is a understood as the relation between human and work task and not just the once acquired knowledge and set of skills that are the required to perform a specific task.In this era of  tough competition, training is a means by which we can excel in specific areas to have an edge over our competitors. Therefore  each individual attending the training program should share the learning with others so that the huge capital have invested by the company on here the employees for their growth  does not become an with an become an overhead.”

Validation of Results

Step -1 :- 2 Inspector द्वारा Paragraph में small “e” को count कराये। और  X bar और R Bar calculate करे। 

Step- 2 :- Paragraph को एक बार फिर से read करके  “e” के counting को दोनों inspector द्वारा  find करे। 

Step – 3 :- step 1 और step 2 दोनों के results को compare करे। 

और हम पायेगें की दोनों द्वारा “e” की counting गलत है। 

इससे ये prove होता है की 100 % Inspection Quality को Achieve नहीं करता। 

Prevention

किसी तरह का defected parts बनने से रोकने के लिए पहले से किया गया उपाय होता है Statistical process control spc kya hai में इसी तरह हम Process control system में Feed back Device का प्रयोग करते है जिसमे process में prevention method  का प्रयोग किया जाता है। 

SPC भी है Feed back system है ,जिसके द्वारा process में आ रहे Defects को रोका जाता है। 

Process 

Process एक प्रमुख कारक है जिसे किसी भी संगठन की सफलता के लिए नियंत्रित किया जाता है। 

Process Variations 

कोई भी दो चीजें प्रकृति में समान नहीं हैं, लेकिन इसके Root Cause  से इन दोनों में difference आ जाता है , इस कारण इसको identify करने की आवश्यकता है।

Kinds of Variations 

    • Inherent Variations ( निहित )- common & Predictable
    • Assignable Variations ( आबंटित )- Special & Unpredictable

1. Inherent Variations ( निहित )- common & Predictable

इसमें वो सभी variations आते है जो निहित होते है , ये तब आते है जब इनको बनाया जाता है। 

जैसे :- तापमान में भिन्नता, कच्चे माल के गुण में भिन्नता,  विद्युत प्रवाह की ताकत में भिन्नता शामिल हो सकते हैं। 

2. Assignable Variations ( आबंटित )- Special & Unpredictable

Lab में testing के बाद raw material में कोई specific cause आना abnormalities आना , या फिर incorrect set -up parameters का होना variations शामिल है। Statistical process control spc kya hai

Types Of Process  Variations 

  1. Part to part variation . ( Range Variation -R )
  2. Time to Time Variation ( Mean Variation – X bar )
  3. Stream to stream Variation ( Fixture or tool to tool variation )

Part to part variation . ( Range Variation -R )  होने का कारण 

  • Machine
  • Input Material
  • Measurements
  • Operator

Time to Time Variation ( Mean Variation – X bar ) होने का कारण 

  • Shift Change
  • Tool Change
  • Material Change
  • Operator Change

Stream to stream Variation ( Fixture or tool to tool variation ) होने का कारण 

  • Process steam ( Multiple Cavities , Spindles , Fixtures में आने वाले variation )
  • Product steam ( Diameter various locations पर अलग होने के कारण आने वाले variation )

ये सभी Statistical process control spc kya hai मे जानकारी लेना आवश्यक था की process क्या होता है ,और variations क्या होते है और इसका हमारे systems पर क्या impact आता है , इसी के द्वारा हम SPC को करते है। 

SPC क्यों करते है ?

  1. यह दोषों के उत्पादन को रोकने के लिए डेटा का विश्लेषण करने और सक्रिय उपाय करने में मदद करता है। 
  2. यह इनपुट डेटा की व्याख्या करने और प्रक्रिया में सुधार के लिए कार्रवाई करने का वैज्ञानिक तरीका है।
  3. कुछ गलत होने से पहले अलार्म देता है।

Aim of SPC 

  1. process को प्रभावित करने वाले कार्यों के बारे में आर्थिक रूप से ठोस निर्णय लेना।
  2. विभिन्न कारणों से process में मौजूद होने पर सांख्यिकीय संकेत प्रदान करना।

Spc कैसे बनाये ? Spc control charts & process capability

spc को हम histogram द्वारा analysis करते है और collected data का  average निकालते है , data को compare करके causes को find करते है , इसमें हम कई तरह के curves का भी प्रयोग करते है , control charts भी बनाकर Statistical process control spc kya hai को किया जाता है। 

spc में हम  Cpk की value को निकालते है , जिसके द्वारा हमे ये पता चलता है की हमारा process कितना stable है। 

  • यदि cpk की value 2 है तो इसका मतलब है की जो हम process का प्रयोग producing के लिए कर रहे है वो बहुत अच्छा है। 

Skewness और kurtosis क्या है ?

skewness :- ये दो distributions को उसके same mean में represent करता है। ये extent of asymmetry को दिखाता है। 

Kurtosis :- kurtosis एक measuring shape है , जो की frequency curve को represent करता है। 

Spc Control Chart kya hai ?

Control Chart एक तरह का graphical representation है जिसके प्रयोग अध्ययन करने के लिए किया जाता है की हमारे process में समय के अनुसार क्या बदलाव आ रहे है। 

Control Chart में एक Center line होती है जो average को दिखाती है , और upper line – upper control limit को दिखाती है , तथा lower line – lower control limit को दिखाती है , इन सभी line के द्वारा हम डाटा के बिच तुलना करके analysis करते है। Statistical process control spc kya hai

Control Chart Types

  • Variables Control Charts ( Pre Control Charts , X bar , R bar chart
  • Attributes Control Charts ( P chart , C chart )

Variable Control Charts 

  • Pre – Control Chart
  • R Chart
  • Standard Deviation

Pre – Control Chart

Process Average  का अनुमान लगाने के लिए एक sample के रूप में measure किया जाता है।  

ये chart उस समय प्रयोग किया जाता है जब actual part to part variation ( R bar ) <= 50 % of Tolerance होता है। Statistical process control spc kya hai

R chart & Standard Deviation Chart

Process variation (standard deviation) का अनुमान लगाने के लिए  प्रयोग किया  जाता है और sample amount को भी analysis किया जाता है। 

Attributes Control Charts

  • P chart
  • C chart

P Chart

  • इस chart का प्रयोग % of defective को measure करने के लिए किया जाता है। 
  •  और इसमें number of defects के बीच % निकाला  जाता है। Statistical process control spc kya hai

C Chart 

  • इसमें कितने defect हुए है इसको measure किया जाता है। 
  • इसमें केवल single product का data लिया जाता है। 

Calculation of process capability indices

Cp = Design Tolerance/Natural Tolerance

या 

Cp = USL – LSL/6*SD

Cp Full form

Process Capability

Cpk Full Form

Process Capability specification Index

Cpl = X bar – LSL / 3*SD

Difference Between Cp & Cpk

  1. Cp Tolerance और Six sigma का एक Ratio है , इसलिए यदि sigma छोटा है तो पूरा process खराब हो सकता है , Cp के द्वारा Process में Potential index को measure किया जाता है। Statistical process control kya hai
  2. Cpk में Usl और Lsl का average निकाला जाता है , cpk का प्रयोग process का actual condition measure करने के लिए किया जाता है , और इसके साथ process variation को भी measure किया जाता है। 

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Advantages of accounting in hindi class 11

Advantages of accounting in hindi  :- लेखांकन द्वारा व्यवसाय को कई तरह के लाभ होते है  बिना लेखांकन के द्वारा हम किसी भी तरह के व्यवासय को नहीं चला सकते है।  accounting के लाभ निम्नलिखित है। 

लेखांकन के लाभ निम्नलिखित है :-

  1. व्यवसाय के प्रबंध में सहायक
  2. योजना बनाने में उपयोगी
  3. निर्णय लेने में सहायक
  4. नियंत्रण में सहायक
  5. सही तरह लेखा रखने में सहायक
  6. लाभ और हानि की गणना करने में
  7. वित्तीय स्थिति की जानकारी देने में
  8. तुलनात्मक अध्ययन में सहायक
  9. करो के दायित्व का निर्धारण करने में सहायक
  10. क़ानूनी मामलो में प्रमाण
  11. ऋण लेने में सहायक
  12. साझेदारी खातों में सहयक
  13. अशुद्धियो और कैप्टो को रोकने तथा पता लगाने में सहायक 

व्यवसाय के प्रबंध में सहायक

वयवसाय को चलाने के लिए प्रबंधको को कई तरह की जानकारी , सूचनाओं की आवयश्कता होती है , जो की लेखांकन से प्राप्त होती है।  इन सभी सूचनाओं से प्रबंधको को  (Advantages of accounting in hindi ) में कई तरह के लाभ मिलता है।

योजना बनाने में सहायक ( Advantages of accounting in hindi )

प्रबंधको को किसी तरह का योजना बनाने के लिए अनेक तरह की जानकारी की जरूरत होती है , जैसे की organization की sales बढ रही है या फिर घट रही है , या उत्पादन की लागत किस speed से increase हो रही है , ये सभी सूचनाएं लेखांकन से प्राप्त होती है , इस जानकारी के माध्यम से ही प्रबंधक अगले वर्ष के विक्रय और वयय का सही अनुमान लगा पाता है , और इससे ये भी जानकारी मिलती है की अगले वर्ष organization के पास कितना ₹ आएगा और कितना ₹ जायेगा।

निर्णय लेने में सहायक

Business में समय के अनुसार कई तरह के निर्णय लेने होते है जैसे है – उत्पादित products का कितना मूलय तय किया जाये , या फिर customer से कितने ₹ की कटौती की जाये। इस कारण लेखांकन को प्राप्त सुचना के आधार पर निर्णय लेना पड़ता है।

जाने book -keeping और accounting में क्या अंतर है ? यहां क्लिक करे। 

नियंत्रण में सहायक 

वयवसाय को सही तरह से चलाने के लिए प्रबंधक का नियंत्रण होना आवश्यक है , ताकि किसी भी department में निर्धारित ₹ से ज्यादा ख़र्च न हो।  और ये सभी सूचनाएं प्रबंधक को लेखांकन द्वारा प्राप्त होती रहती है।

सही तरह लेखे रखने में सहायक 

वयवसयिक लेन -देन  प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है इस कारण सभी के लेन -देन रखना जटिल होता जा रहा है , और हर एक लेन -देन को याद रखना संभव नहीं है इसलिए लेखांकन हर एक लेन -देन का तुरंत लेखा करती है और उसका सारांश तैयार करके लेन -देन का सही चित्र प्रदर्शित कराता है। Advantages of accounting in hindi

लाभ और हानि की गणना करने में

लेखांकन हर तरह के business का एक कार्य काल में profit &loss account बनाता है जिससे की फर्म में लाभ – हानि का सही अनुमान का पता चलता है , ऐसी सूचनाएं प्रबंधको और पक्ष्कारो के लिए बहुत उपयोगी होता है। Advantages of accounting in hindi

वित्तीय स्थिति में विषय में सुचना 

लेखांकन द्वारा  प्रत्येक लेखांकन अवधि की समाप्ति के बाद balance sheet बनाकर business की वित्तीय स्थिति की सूचना प्रदान करती है।  स्थिति विवरण में एक तरफ सम्पतियो और उसके मूलयो को दिखाया जाता है और दूसरी तरफ दायित्वों और पूँजी को प्रदर्शित करता है।

तुलनात्मक अध्ययन में सहायक

सही तरह से लेखा करने से वर्ष के अंत में हमें profit & loss का पता चलता है साथ -साथ प्रबंधको को एक वर्ष की लागत , वयो , विक्रय आदि की तुलना दूसरे वर्ष से करने में आसानी होती है , इस तरह  का तुलना करने से उपयोगी सूचनाएं प्राप्त होती है , जिसके द्वारा हम महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते है। Advantages of accounting in hindi

करो के दायित्व का निर्धारण करने में सहायक 

लेखांकन में सभी का सही से लेखा रखा जाता है , इस कारण ये फार्म के आय कर और बिक्री कर में सहायक होते है , और इस record से अधिकारी लेखांकन पर विश्वास रखते है। Advantages of accounting in hindi

क़ानूनी मामलो में प्रमाण 

लेखांकन को बिलकुल सही तरह से record book standard मानकर बनाया जाता है जिसको सुरक्षित रखने एक उच्च प्रबंध होता है , इस कारण लेखा को है प्रमाण के रूप में न्यायालय में प्रदर्शित कर सकते है , जो की एक पक्के सबूत में आता  है। Advantages of accounting in hindi

ऋण लेने में सहायक

लेखनकन में हर तरह का लेखा जैसे अंतिम खाते , कोष प्रवाह विवरण , रोकड़ प्रवाह विवरण बनाये जाते है जब कभी organization को ऋण की जरूरत होती है तो बैंको और वित्तीय संस्थनों द्वारा ऋण लेते समय लेखांकन सूचनाएं अत्यधिक सहायक होती है , क्यूंकि ये सभी वित्तीय संस्थाएं ऋण देने से पूर्व ये सभी जानकारी को देखती है। Advantages of accounting in hindi

साझेदारी खातों में सहायक 

organization में समय – समय पर नए साझेदार का आना , अवकास लेना या फिर साझेदारी का समापन होना मत्यु होना सभी का लेखा रखा जाता है , जिससे की फार्म में साझेदारी की आवश्यक जानकारी प्राप्त होती है , और इसके मदद से फार्म के goodwill का मूलयांकन में भी सहायता प्रदान करता है। Advantages of accounting in hindi

अशुद्धियो और कैप्टो को रोकने तथा पता लगाने में सहायक 

लेखांकन में हर तरह एक रिकॉर्ड होने से कैप्टो का पता आसानी से लगाया जा सकता है और उसको होने से रोका जा सकता है। 

Types of accounting class 11 in hindi

Types of accounting class 11 in hindi :- आज के आधुनिक प्रबंध को कार्यो को और अधिक कुशलतापूर्वक करने के लिए कई तरह के डाटा सूचनाओं की आवश्कता होती है  , इसके लिए प्रबंध को और सही बनाने के लिए लेखांकन में कई तरह के शखाओ का विकास हुआ है जो इस प्रकार  है :- 

  1. वित्तीय लेखांकन ( Financial Accounting )
  2. लागत लेखांकन ( Cost Accounting )
  3. प्रबंध्कीय लेखांकन ( Management Accounting )
  4. कर लेखांकन  ( Tax Accounting )
  5. सामाजिक दायित्व लेखांकन ( Social Responsibility Accounting )

1. वित्तीय लेखांकन ( Financial Accounting ) 

इसका मुख्य उदेशय व्यवसायिक लेन -देनो का सही तरह लेखा रखना है , और लाभ -हानि खाता बनाकर व्यस्वसाय  में हुए लाभ – हानि को ज्ञात करना है , इसके बाद स्थिति विवरण बनाकर व्यस्वसाय  की वित्तीय स्थिति को प्रकट करना है।  और लेखांकन के इस भाग द्वारा कारको और पक्षकारो को सूचनाएं भी दी जाती है। 

2. लागत लेखांकन ( Cost Accounting )

types of accounting class 11 in hindi

लागत लेखांकन  का उदेश्य व्यस्वसाय में प्रयोग होने वाली सभी वस्तुएँ और दी जाने वाली सेवाएं की कुल लागत क्या है और प्रति इकाई लागत क्या है इसको ज्ञात करना , इसमें हम लागत का  पहले से अनुमान भी लगा सकते है जिससे प्रबंधको को लागत नियंत्रण लागू करने में भी सहायता मिलती है। types of accounting class 11 in hindi

3. प्रबंध्कीय लेखांकन ( Management Accounting )

इस लेखांकन का प्रमुख उद्देस्य लेखांकन के सूचनाओं को इस तरह से प्रकट करना है , जिससे प्रबंधक को किसी तरह की क्रियाओ का योजना बनाना और नियंत्रण आसान हो सके। प्रबंध्कीय लेखांकन में निर्णयन के लिए और डाटा को उपयोगी बनाने के लिए कई तरह के तकनीकों और अवधारणाओं को प्रयोग करते है। 

जाने accounting क्या हैं? यहाँ क्लिक करें.

ये तकनीक निम्नलिखित है – बजटरी नियंत्रण , अनुपात विश्लेषण , कोष प्रवाह विवरण , रोकड़ प्रवाह विवरण आदि। 

4. कर लेखांकन  ( Tax Accounting )

ये ( types of accounting class 11 in hindi)  लेखांकन की वो शाखा है , जो की कर निर्धारण करती है  , इस कर के द्वारा हम बिक्री कर और आय कर की गणना करते है। 

5. सामाजिक दायित्व लेखांकन ( Social Responsibility Accounting )

आज के युग  में व्यस्वसाय को बिना समाज के नहीं चलाया जा सकता , समाज के द्वारा व्यस्वसाय को कई तरह की सुविधाएं प्रदान की जा रही है , इस कारण  व्यस्वसाय की भी जिम्मेदारी होती है की वो समाज द्वारा बनाये नियमो को पालन करे इसके लिए सभी रिपोर्ट्स को तैयार रखे।  

मुखयता समाजिक दयित्व लेखांकन वो प्रक्रिया है जो व्यस्वसाय द्वारा समाज के लिए किये गए सेवाओं की पहचान करती है , और इसको मापती है , और इसके द्वारा सूचनाएं प्रदान करती है , इसके अतिरिक्त व्यस्वसाय द्वारा समाज को दी जाने वाली सेवाओं में निम्न वर्गो को रोजगार देना , विभिन प्रोग्रामो के लिए वित्तीय और अन्य संसाधन देना , वातावरण को स्वस्छ बनाये रखने के लिए सहायता प्रदान करना , टिकाऊ उत्पाद बनाना , उत्पाद की सुरक्षा करना , ग्राहक की संतुष्टि प्राप्त करना सम्मिलित है , सामाजिक दयित्व लेखांकन में इन सभी सेवाओं और इनके लागत द्वारा समाज को होने वाले लाभ को मापने के लिए प्रयोग किया गया है। types of accounting class 11 in hindi , types of accounts ,3 types of accounting 

Bookkeeping and accounting difference in hindi

पुस्तपालन (Book-keeping) क्या है ?

  पुस्तपालन एक कला है जिसमे हम व्यवसाययिक और वित्तीय लेन -देनो के मौद्रिक रूप का लेखा पुस्तक में करते है , Bookkeeping and accounting difference in hindi ये मुख्यता पुस्तक लेखा रखने से सम्बंधित है।

लेखा पुस्तक को बनाने और रखने के लिए चार क्रियाये किया जाना आवश्यक है :-

  1. सभी पहचान किये गए लेन -देनो को मुद्रा के रूप में मापना।
  2. सभी तरह के लेन – देनो में से ऐसे लेन देनो की पहचान करना जो वित्तीय प्रकृति के है।
  3. पहचान किये गए लेन -देनो का पुस्तक में लेखा करना।
  4. सभी के खाताबही को वर्गीकरण करना।

पुस्तपालन एक कठिन कार्य है इसे केवल उन्ही लोगो द्वारा पूरा किया जा सकता है जिसको लेखांकन करने की उचित जानकारी हो , और हम (Bookkeeping and accounting difference in hindi )  में  इसको computer के माध्यम से भी कर सकते है।

लेखांकन  क्या है ? ( Accounting )

लेखांकन वहां से शुरू होता है जहां से पुस्तपालन के कार्य खत्म हो जाते है। 

लेखांकन के कुछ क्रियाये इस प्रकार है :-

  1. सभी वर्गीकृत किये गए लेन -देनो का profit और loss account और उनका स्थिति विवरण बनाकर सारांश तैयार करना। 
  2. सारांश द्वारा उपयोगी सूचना इकठ्टा करना और परिणामो का विश्लेषण करना। 
  3. सभी सुचना को पक्षकारो को बताना। 

जाने लेखांकन किया है full detailed में यहां क्लिक करे। 

लेखांकन का कार्य पुस्तकालन के कार्य से आगे का होता है , परन्तु हम बिना पुस्तकालन के अन्य कोई कार्य को नहीं कर सकते पुस्तकालन तैयार करने के बाद ही accounting को किया जा सकता है , और सही तरह लाभ -हानि की गणना की जा सकती है। 

Difference Between Bookkeeping and Accounting in hindi 

Bookkeeping and accounting difference in hindi 

पुस्तपालन और लेखांकन में अंतर :-

अंतर का आधार
Basic of Distinction
पुस्तपालन
Book-Keeping
लेखांकन
Accounting
1. क्षेत्र ( Scope )1. पहचान किये गए लेन -देनो को मुद्रा के रूप में मापना।
2. सभी वित्तीय प्रकृति के लेन -देनो की पहचान करना।
3. लेन -देनो का लेखा करना।
4. खाताबही में सभी लेन -देनो को वर्गीकरण करना।
1. सभी वर्गीकृत किये गए लेन -देनो का सारांश तैयार करना।
2. तैयार किये गए सारांश के परिणामो का विश्लेषण करना और व्याख्या करना।
3. सभी पक्ष्कारो को सभी लेन -देनो के बारे में जानकारी देना।

2. उदेश्य ( Objective )पुस्तपालन का प्रमुख उदेशय वित्तीय प्रकृति के लेन -देनो का सही तरह लेखांकन करना है। Accounting का प्रमुख उद्देस्य व्यवासय में हुए शुद्ध लाभ और हानि का आंकलन करना और वित्तीय स्थिति को ज्ञात करना है।
3. अवस्था ( Stage )पुस्तपालन प्राथमिक क्रिया है। लेखांकन द्वितीय क्रिया है।
4. कार्य की प्रकृति ( Nature of Job )
ये यांत्रिक प्रकृति का होता है। लेखांकन का कार्य विशेषणात्मक प्रकृति का होता है।
5. कौन करता है ( Who Performs )पुस्तपालन के कार्य को माध्यम श्रेणी के स्टाफ द्वारा किया जा सकता है। लेखांकन के कार्य को केवल उचच श्रेणी के स्टाफ द्वारा ही किया जा सकता है।
6. ज्ञान का स्तर ( Knowledge Level )सीमित ज्ञान वाले व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है। ये केवल उन व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है , जिनको पुस्तपालन से अधिक ज्ञान हो।
7. विशेषणात्मक योग्यता
( Analytical skill )
इसमें विशेषणात्मक योग्यता का होना आवयश्क नहीं है। एकाउंटिंग में विशेषणात्मक योग्यता का होना अति अवश्यक है।

What is Accountancy in hindi 

एकाउंटेंसी – लेखांकन को सही से करने के ज्ञान से है जो की कई सिद्धांत और तकनीक से समबन्धित है , जिसके द्वारा लेखांकन को किया जाता है , इसके द्वारा हमें इसका ज्ञात होता है की लेखा को कैसे करना है , उसका सारांश कैसे बनाना है , और (Bookkeeping and accounting difference in hindi ) में सभी सूचना को पक्ष्कारो तक कैसे पहुंचना है। 

Difference between Accounting and Accountancy in hindi

Difference Between Bookkeeping and accountancy 

अंतर का आधार
Basic of Distinction
लेखांकन
Accounting
लेखाकर्म
Accountancy
1. अर्थ ( Meaning )सभी लेन -देनो का लेखा करना और उनको वर्गीकरण और सारांश तैयार करना है। यह एक नियम जिसमे सिद्धांत के अनुसार लेखा किया जाता यही और सभी लेन -देनो का वर्गीकरण और सारांश तैयार करने में लेखांकन की मदद की जाती है।
2. क्षेत्र ( Scope )ये पुस्तपालन की प्रक्रिया खत्म होने के बाद आरंभ होता है। इसका क्षेत्र पुस्तपालन और लेखांकन दोनों में होता है।
3. कार्य ( Function )Accounting का कार्य शुद्ध परिणामो को निकालना और वित्तीय स्थिति को ज्ञात करना है , और पक्षकारो तक सुचना को देना है। इसमें लेखांकन और पुस्तपालन द्वारा तैयार किये गए सूचनाओं के आधार पर निर्णय लेने का कार्य किया जाता है।
4. सम्बन्ध ये पुस्तपालन पर निर्भर रहता है। ये लेखांकन और पुस्तपालन दोनों पर निर्भर रहता है।

Functions of accounting in hindi

Functions of accounting meaning in hindi

लेखांकन के वो कार्य जो सही तरह लेखा करने में  मदद करते है functions of accounting in hindi कहलाता है इसमें हम कई तरह के कार्य द्वारा accounting की प्रक्रिया को सरल बनाते है , और अच्छी तरह से लेखांकन करते है।

लेखांकन के कार्य ( Functions of accounting in hindi )

निन्मलिखित है :- 

functions of accounting class 11

4 functions of accounting

  1. पूरा और सही तरह लेखा रखना
  2. विभिन्न पक्षकरो को  वित्तीय परिणामो की जानकारी देना
  3. व्यवसाय की सम्पतियो की सुरक्षा करना
  4. प्रबंध को सहायता देना
  5. Legal ( वैधानिक ) जरूरतों को पूरा करना
  6. ट्रस्टी द्वारा कार्य
  7. दायित्व को निर्धारण करना

Basic functions of accounting

जाने लेखांकन के क्या उदेशय है यहां click करे। 

प्रमुख कार्य निन्मलिखित है :-

1. पूरा और सही तरह लेखा रखना 

ये लेखांकन का सबसे प्रमुख कार्य है जिसमे हम व्यावसायिक लेन – देनो को सही तरह लेखा करते है , इसमें शामिल खाता बही ( Ledger ) को सही तरह भरना और वित्तीय विवरण और लाभ -हानि का विवरण तैयार किया जाता है।

2. विभिन्न पक्षकरो को  वित्तीय परिणामो की जानकारी देना

सही तरह लेखा करने के बाद एकाउंटिंग का दूसरा कार्य है की सभी पक्षकारो को व्यवसाय में होने वाले सभी शुद्ध लाभ और हानि की सही सूचना देना , जिससे की वो सही निर्णय ले सके।

3. व्यवसाय की सम्पतियो की सुरक्षा करना 

लेखांकन  (functions of accounting in hindi ) का तीसरा कार्य  ये है की सभी सम्पतियो जैसे की रोकड़ , , स्टॉक , बैंक शेष , देनदारों और सभी का सही तरह लेखा रखना , ताकि प्रबंधक को इसके द्वारा सही से नियंत्रण किया जा सके।

4. प्रबंध को सहायता देना 

लेखांकन द्वारा तैयार की गयी सुचना प्रबंध और नियोजनों के लिए , कई तरह के निर्णय लेने के लिए जरुरी होता है जिससे की इनको सहायता प्राप्त होती है।

5. Legal ( वैधानिक ) जरूरतों को पूरा करना 

किसी भी company को legal activities करना अति आवयश्क होता है इसी तरह , accounting (functions of accounting in hindi )  में विभिन तरह के कानूनों जैसे कंपनी अधिनियम , आयकर अधिनियम , Value Added टैक्स , New  goods and service tax ( gst ) , उत्पादन शुल्क , आदि को लाइसेंस करवाना होता है , जिसके फर्म को कई तरह के विवरण प्रदान करते है। जैसे – वार्षिक खाता , Gst return इन सही कार्यो को कंपनी सरकारी एजेंसियो द्वारा पूरा करता है।

6. ट्रस्टी द्वारा कार्य 

कंपनी में प्रबंध द्वारा company के सभी साधनो को नियंत्रण करने की जिम्मेदारी होती है , और ये कंपनी के कोषों पर ट्रस्टी के रूप के कार्य करता है  , इससे लेखांकन (functions of accounting in hindi ) में कंपनी के साधनो को नियंत्रण रखने में सहायता मिलती है।

7. दायित्व को निर्धारण करना

लेखांकन के इस कार्य में सभी विभागों को उसके कार्य के प्रति उत्तरदायी करना है , और सभी विभागध्यक्ष के दायित्व को निर्धारण करना है।

objective of accounting in hindi

लेखांकन के उद्देश्य क्या है ?

लेखांकन की वो सभी कार्य जो व्यवसाय में लाभ अर्जित करने में  अहम् भूमिका रखते है लेखांकन के उदेशय  (objective of accounting in hindi )  कहलाते है

लेखांकन के उद्देश्य निन्मलिखित है Objective of accounting in hindi 

objective meaning

  1. व्यावसयिक लेन – देनो का लेखा रखना।
  2. लाभ – हानि की गणना करना।
  3. शुद्ध लाभ और शुद्ध हानि के कारणों को पता लगाना है।
  4. व्यवासय की वित्तीय स्थिति  को ज्ञात करना।
  5. व्यवसाय की प्रति वर्ष की प्रगति को ज्ञात करना।
  6. हानि को होने से रोकना।
  7. विभिन्न पक्षकरो को जानकारी देना।

1. व्यावसयिक लेन – देनो का लेखा रखना 

लेखांकन में हम सबसे पहले सभी व्यावसयिक लेन -देनो का लेखा करते है , ताकि किसी भी तरह से कोई परेशानी उत्पन्न न हो इसलिए हम सबसे पहले अच्छी तरह सभी की लेखा पूर्ण कर लेते है , इसको पूरा करने के लिए हम जर्नल और सहायक बहियो में लेखा करते है , और इसके बाद objective of accounting in hindi में हम Ledger बनाते है।

2. लाभ – हानि की गणना करना

लेखा पूर्ण होने के बाद लेखांकन का दूसरा सबसे important है की साल के अंत में कुल लाभ -हानि का सही तरह हिसाब लग जाये , इस को सही तरह गणना करने के लिए हमे वर्ष के अंत में business का Trading और profit एंड loss account बनाया जाता है , और इसमें सभी sale , purchase आदि को शामिल किया जाता है , यदि business की आय वयो से अधिक है तो शुद्ध लाभ होता है , और यदि बिज़नेस के खर्चे आयो से अधिक है तो शुद्ध हानि होती है।

इसके अतिरिक्तobjective of accounting in hindi में  इसके बारे में भी पता चलता है :-

  1. साल के अंत में कितना Raw material और finish goods कितना बचा हुआ है , और उसका cost कितना है।
  2.  एक duration में कितना product purchase किया गया।
  3. और एक duration में कितना products को sale किया गया।
  4. और सभी products के ऊपर कितना -कितना खर्चा  हुआ है ,  और सभी से कितनी income  हुई है।

3.शुद्ध लाभ और शुद्ध हानि के कारणों को पता लगाना है। 

वित्तीय वर्ष (objective of accounting in hindi) में  लाभ और हानि का सही – सही अनुमान लगाना ज़रूरी है , इसके लिए सभी का proper लेखा किया जाना चाहिए।

4. व्यवासय की वित्तीय स्थिति  को ज्ञात करना।

किसी भी Business के लिए केवल लाभ -हानि जानना ही ज़रूरी नहीं है , इसके अतिरक्त उसको व्यवसाय की वित्तीय स्थिति का बारे में भी जानकारी होना आवश्यक है , इसको जानने के लिए वर्ष के अंत में profit और loss account बनाने के बाद एक Balance Sheet तैयार किया जाता है , जिसमे एक तरफ सभी दायित्व और पूंजी को लिखा जाता है और दूसरी तरफ सभी सम्पतियो को और उसके मूल्य को लिखा जाता है।

व्यवसाय की स्थिति विवरण द्वारा (objective of accounting in hindi) में निम्नलिखित जानकारी प्राप्त  होती है :-

  1. व्यवसाय में किस -किसी लोगो को कितना रूपए ₹ देना है  या व्यवसाय के कितने लेनदार ( creditors ) है।
  2. व्यवसाय में किस -किसी लोगो से कितना रूपए ₹ लेना  है  या व्यवसाय के कितने लेनदार ( Debtors  ) है।
  3. व्यवसाय में भी इतनी सम्पतियाँ है जैसे – बैंक शेष , नकद शेष , आदि।

जाने  एकाउंटिंग (accounting) क्या है complete Information यहां click करे। 

5. व्यवसाय की प्रति वर्ष की प्रगति को ज्ञात करना

व्यवसाय को सही तरह से करने के लिए व्यवसाय में प्रति वर्ष growth की जानकारी होना आवश्यक है।

6. हानि को होने से रोकना

व्यवसाय में होने वाले नुकसान को रोकने के लिए उचित कदम उठाया जाया जाना आवश्यक है।

7. विभिन्न पक्षकरो को जानकारी देना 

ये एक objective of accounting in hindi का महत्वूर्ण कार्य है क्यूंकि व्यवसाय में कई तरह के पक्षकार ( parties ) होती है उनको व्यवसाय से सम्बंधित सभी सुचना ज्ञात होना आवश्य्क है. ये पक्षकार व्यवसाय के लेनदार , स्वामी , विनियोक्ता , बैंक , कर्मचारी या फिर कोई सरकारी अधिकारी हो सकता है , ये सभी को व्यवसाय की हर तरह की सूचना होना आवश्यक है ताकि वो व्यवसाय को नुक्सान होने से रोकने के लिए अपने – अपने मतो को पेश कर सके और निर्णय ले सके।

Limitations of accounting in hindi

लेखांकन के माध्यम से हम व्यवसाय के स्वामी और व्यवसाय से सबंधित पक्षकारो को business से सम्बंधित लाभ और वित्तीय स्थिति के विषय में जानकारी सूचनाएं प्रदान करते है , इसके अतिरिक्त इसमें हम कई तरह के सूचनाएं प्रदान करते है , जिनके कुछ सीमाएं होती है Limitations of accounting in hindi में हम इन्ही सीमाएं का बारे में जानेंगे जो की निम्नलिखित है :-

  1. व्यक्तिगत निर्णयों से प्रभावित 
  2. अपूर्ण सूचना 
  3. लेखांकन की अवधारणाओं तथा परम्पराओ पर आधारित 
  4. गुणात्मक सूचनाओं का अभाव
  5. झूठे दिखावो से प्रभावित 
  6. भावी अनुमानों के लिए सही न होना 
  7. historical लागतों पर आधारित  

व्यक्तिगत निर्णयों से प्रभावित ( limitations of accounting in hindi )

हम जानते है की लेखांकन विज्ञान और कला दोनों है , और अभी तक लेखांकन पूर्ण रूप से विज्ञान नहीं बन पाया है , इस कारण  लेखाकार को विभिन तरह के विषय से खुद के विचारो से निर्णय लेना पड़ता है , उदहारण के लिए किसी तरह के सम्पत्ति पर interest लगाने के लिए सबसे पहले उसके उस सम्पति का वास्तविक मूल्य का अनुमान लगाना पड़ता  है , और मूल्य शुद्ध लगा पाना बहुत ही कठिन होता है , इन सभी का अनुमान विभिन लेखकरो द्वारा में विभिनता होना स्वायभाविक है , जिसके कारण कई वयक्तियो द्वारा एक फार्म की लाभ – हानि अलग – अलग आएगी , इस वजह से  (limitations of accounting in hindi ) में लेखांकन  द्वारा प्राप्त लेखा को बिलकुल सही नहीं माना जा सकता। 

अपूर्ण सूचना 

लेखांकन में सभी जानकारी  जैसे लेखांकन विवरण एक अपूर्ण सूचनाएं प्रदान करती है , क्यूंकि व्यवसाय की सही लाभ -हानि तभी ज्ञात हो सकती है जब व्यवासय को बंद कर दिया जाये। 

लेखांकन की अवधारणाओं तथा परम्पराओ पर आधारित 

लेखांकन को  अवधारणाओं तथा परम्पराओ पर आधारित बनाया गया है , इस्सलिये ये संभव है की प्रदर्शित किया गया लाभ और वित्तीय स्थिति सही न हो , उदहारण  के लिए स्थायी सम्पतियो में स्थिति विवरण में चालू व्यवसाय अवधारणा के अनुसार दिखाया जाता है , इससे ये पता चलता है की स्थायी सम्पतियो को लागत मूल्य पर दिखाया  जाता है न की बाजार मुलय पर , और इनके विक्रय से प्राप्त मूल्य इनके स्थिति विवरण पर दिखाए गए मूल्य से अधिक या फिर कम हो सकता है। limitations of accounting in hindi

जाने Types of Accounting in hindi यहां click करे। 

गुणात्मक सूचनाओं का अभाव

  लेखांकन में  लेखा करते समय केवल उन्ही सूचनाओं का लेखा किया जाता है जो की मुद्रा के रूप में हो , और व्यवासय के गुणात्मक तत्वों का लेखा नहीं किया जाता है क्यंकि इसको मुद्रा के रूप में व्यक्त नहीं  किया जा  सकता और व्यवासय में अनेक कारक जैसे  व्यवासय की प्रशिधि , प्रबंध में परिवर्तन , प्रबंध और श्रमिक में समबन्ध , फार्म की उत्पादकता में वृद्धि , प्रबंध की कुशलता  आदि को की फार्म की लाभप्रदर्ता में कई तरह के प्रभाव  डालते है , लेकिन इन सभी को छोड़ दिया जाता है , क्यूंकि ये सभी गुणात्मक प्रकृति के है। 

झूठे दिखावो से प्रभावित 

झूठे दिखावे मतलब लेखा करने में हेराफेरी करना है , जिसके  वजह से वित्तीय विवरण की स्थिति वास्तविक स्थिति से अधिक अनुकूल स्थिति प्रदर्शित करे , उदहारण के लिए यदि वर्ष के अंत में किये गए क्रय का लेखा न किया जाए और अंतिम stock का अधिक मूल्यांकन कर लिया जाये।  इस प्रकार के निर्णय से सही सूचनाएं प्राप्त नहीं होती। limitations of accounting in hindi

भावी अनुमानों के लिए सही न होना

लेखांकन में हम जो भी वित्तीय लेखा करते है वो सभी भूतकाल की घटनाओ से सम्बंधित होते है , और व्यवसाय में जैसे फर्म द्वारा बनाई गयी निति , वस्तु की मांग , प्रतिस्पर्धा की स्थिति समय के अनुसार बदलती रहती है , इस कारण ये संभव नहीं भूतकाल घटनाओ के आधार पर किया गया वित्तीय विश्लेषण भविष्य में अनुमान लगाने के लिए सही होगा। limitations of accounting in hindi

Historical लागतों पर आधारित  

लेखांकन द्वारा लेखो को Historical यानि प्रारम्भिक लागतो के आधार पर तैयार किया  जाता है इस कारण वित्तीय विवरणों में दिए गए आंकड़े मूल्य स्तर में परिवर्तनों के प्रभाव को प्रदर्शित नहीं करते है अधिक दशाओ में भूमि और भवन की दशा में सम्पतियो का अलप – मूल्यांकित  होता है इस कारण इस तरह के historical लागतो से यह प्रभाव पड़ता है की स्थिति विवरण में दिखाए गए सम्पतियो में मूल्य व्यवसाय की सही स्थिति विवरण का अनुमान लगाने में सहायक नहीं होते। limitations of accounting in hindi

Accounting kya hai

लेखांकन क्या है ?

accounting kya hai – ये एक लेखा प्रणाली है , जो की व्यवसाय से सम्बंधित होता है और सभी व्यवसाययिक सम्बंधित सूचनाओं को मौद्रिक रूप में collect करके , उसका सारांश बनाने , और विश्लेषण के लिए प्रयोग किया जाता है। 

लेखांकन कला और विज्ञान दोनों है – लेखांकन  कला इसलिए है क्यूंकि उसके द्वारा हम व्यवसाययिक लेन – देन का लेखांकन करना और फिर उसका वर्गीकरण करते है और last में उसका सारांश बनाते है , ताकि हमे accounting kya hai में profit और loss का पता चल सके। 

लेखांकन विज्ञान इसलिए है  क्यूंकि ज्ञान की कोई भी संगठित शाखा को की कुछ सिद्धांत पर आधारित हो विज्ञान कहलाती है , इस कारण हम लेखांकन को विज्ञान कह सकते है। 

Definitions Of Accounting In Hindi accounting kya hai

अमेरिका  की  सर्टिफाइड पब्लिक एकाउंटेंट्स संस्था के  अनुसार –

” लेखांकन एक  कला है  , जिसके द्वारा  वित्तीय लेन – देनो  एवं  परिस्थियो को  मुद्रा  के  रूप  में  लिखा  जा सकता है तथा  उन्हें  महत्वपूर्ण  तरीको से  वर्गीकृत  करके  उनके परिणामो से निष्कर्ष निकाले  जाते है। ” 

लेखांकन की विशेषताएं ( Characteristics of Accounting )

उपरोक्त परिभाषाओ के आधार पर लेखांकन ( accounting kya hai ) की प्रमुख विशेषताएं –

  1. केवल वित्तीय प्रकर्ति के लेन – देनो का लेखा करना। 
  2. लेखांकन कला भी है और विज्ञान भी। 
  3. मुद्रा  के रूप में लेखा करना। 
  4. वर्गीकरण करना। 
  5. सारांश बनाना। 
  6. परिणामो की को दिखाना 
  7. संवहन 

केवल वित्तीय प्रकर्ति के लेन – देनो का लेखा करना 

व्यवसाय के अंदर उन्ही लेन – देनो को  लिखते है , जिनका केवल मुद्रा  के रूप में उल्लेख हो व्यवसाय के अंदर प्रतिदिन कई तरह के transactions होती है  जो काफी महत्वपूर्ण होती है जिनका विवरण पैसे के रूप में नहीं होता , इस कारण ऐसे लेन -देनो का लेखा पुस्तक में नहीं किया जायेगा। 

लेखांकन कला भी है और विज्ञान भी

लेखांकन (accounting kya hai ) में कला एक पूर्व निर्धारित विधि है जो की उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है , इसके साथ – साथ लेखांकन विज्ञान भी है क्यूंकि ये एक ज्ञान की एक संगठित शाखा है और सिंद्धान्तो पर आधारित है। 

मुद्रा  के रूप में लेखा करना

लेखांकन पुस्तक में हर लेन -देन को केवल मुद्रा के रूप में ही लिखा जायेगा , जैसे की एक व्यवसायी ने 100 टेबल और 200 कुर्सियां खरीदी तो इनका लेखा इनका जो मूल्य होगा उसी में किया जायेगा।  सभी लेन -देन  का मुद्रा के रूप में लिखित होने से आसानी से जानकारी मिल जाती है और profit – loss भी शुद्ध प्राप्त होता है। 

छोटे business में ज्यादा लेन -देन नहीं होता इसलिए वहां पर सभी लेन -देन का पहले रोजनामचे ( Journal ) में लिखते है , इसके विपरीत बड़े Business में  लेन -देन अधिक होते है , इसलिए यहां सभी रोजनामचे को विभाजित कर दिया जाता है और सभी लेन -देन  के लिए अलग – अलग पुस्तक बना दी जाती है।  

Example 

  1. माल को उधार खरीदने के लिए और लेखा करने के लिए क्रय बही ( Purchases book )
  2. माल को नकद खरीदने और लेखा के लिए रोकड़ बही ( Cash Book )
  3. माल को उधार बेकने और लेखांकन करने के लिए विक्रय बही ( sales Book )
  4. उधार क्रय वापसी को लिखने के लिए  क्रय वापसी बही ( Purchase Return Book )
  5. उधार विक्रय वापसी को लिखने के लिए  विक्रय वापसी बही ( Sales Return Book )
  6. बिल प्राप्त होने पर प्राप्य विपत्र बही ( Bills Receivable Book )
  7. बिल देने पर देय विपत्र बही ( Bills Payable Book )
  8. और रोजनामचा विशेष ( Journal  Proper )

वर्गीकरण करना ( Classifying )

बही और journal में सभी लेन – देनो को लिखने के बाद उनका वर्गीकरण किया जाता है – accounting kya hai में वर्गीकरण एक प्रकर्ति है , जिसमे एक ही type के लेन -देनो को एक ही जगह और एक book में लिखा जाता है , और जिसमे ये खता खोला जाता है उसको Ledger कहते है , और खाताबही में वयवसाय से सम्बंधित सभी के लिए अलग -अलग account बनाया जाता है। ये सभी पर apply होता है चाहे वो supplier हो या फिर customer  , और क्रय – विक्रय के लिए भी अलग -अलग account बनाकर लेखा किया जाता है , journal में सभी खाताबही जैसे  -मजदूरी खाता , वेतन खाता , विज्ञापन खाता ,सभी को अलग -अलग वर्गीकृत किया जाता है। 

सारांश बनाना ( Summarising )

accounting kya hai में सारांश बनाना एक उच्च कार्य है , जिसमे वर्गीकृत किये गए Data को सही तरह प्रदर्शित किया जाता है , ताकि ये डाटा आसानी से व्यक्तियों को और प्रबंधको को समझ  सके , जिसके द्वारा वो किसी results का आंकलन कर सके , इसके  खता बही को calculate किया जाता है  सभी का एक Trail Balance ( तलपट )  बनाया जाता है ,Trail Balance के द्वारा अंतिम  खाता बनाया जाता है , जिसमे Profit और loss account , Trading Account , और balance sheet आदि सम्मिलित होते है। व्यापारिक खाता  वर्ष के दौरान में हुए कुल लाभ और सकल हानि को जानने के लिए बनाया  है और लाभ – हानि खाता वर्ष के दौरान शुद्ध लाभ और शुद्ध हानि को जानने  के लिए बनाया जाता है और इसका  स्थिति विवरण भी तैयार किया जाता है।

accounting cycle 

परिणामो की को दिखाना 

लेखांकन में हम व्यवसाय के सभी , लाभ -हानि , व्यापारिक खाता , स्थिति विवरण के  परिणामो को इस तरह प्रदर्शित करते है जिससे की व्यवसाय से सबंध रखने  वाले सभी पक्षकार जैसे – बैंकर्स , प्रबंधक , लेनदार , व्यवसाय का मालिक आदि व्यवसाय (accounting kya hai )  में होने वाले लाभ और व्यवसाय में सभी वित्तीय स्थिति  के बारे में जानकारी ले सके। 

संवहन ( Communication ) 

इसमें लेखांकन ( accounting kya hai) के सभी मतों , विशेषताओ , वित्तीय data को उपयोगकर्ता तक पहुँचाना सम्मिलित है , ताकि वयक्तिगत आवश्यक्ताओ के अनुसार इसका विश्लेषण कर सके। 

जाने 5s क्या है  हिंदी में 

calculation of new profit sharing ratio in hindi

नया लाभ-विभाजन अनुपात ज्ञात करना 

calculation of new profit sharing ratio in hindi :- नए साझेदार अपने लाभ का हिस्सा पुराने साझेदारों द्वारा प्राप्त करता है। जिसके कारण पुराने साझेदारों के लाभ में कमी आ जाती है। और इस कारण अन्य लाभ -विभाजन अनुपात को ज्ञात करना पड़ता है, आज हम जानेगें की हम इसको कैसे calculate करते है। 

calculation of new profit sharing ratio in hindi

calculation of new profit sharing ratio in hindi

Method :-01 

जब question में केवल नए साझेदार क अनुपात ही दिया होता है और ये स्पष्ट नहीं होता की नए साझेदार ने अपना कितना हिस्सा पुराने साझेदार से किस अनुपात में लिया है , इस परस्थिति में ये मान लिया जाता है की पुराने साझेदारों के लाभ – विभाजन अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं है और वो अपने पुराने अनुपात में ही लाभ -हानि का विभाजन करते रहेंगें 

Method :-02 

कभी -कभी new partner अपने हिस्से को पुराने साझेदार से एक समान अनुपात में प्राप्त करता है। इस condition में पुराने साझेदारों के पुराने हिस्सों में से इस  त्याग अनुपात के हिस्से को घटाकर सभी साझेदारों के नए अनुपातों की गणना की जाती है। 

Method :-03

कभी -कभी ऐसा होता है की नया partner एक विशेष अनुपात में पुराने साझेदारों से अपने लाभ के हिस्से को प्राप्त करते है।  इस type की condition में पुराने साझेदारों के लाभ -हानि विभाजन अनुपात में से ऐसे त्याग को घटाकर ही नए लाभ -हानि विभाजन अनुपात की ज्ञात किया जाएगा। 

Method :-04

कभी- कभी ऐसा देखने को मिलता है की पुराने साझेदार अपने हिस्सों का एक निश्चित भाग नए साझेदारों को दे देते है। इस condition में ने साझेदारों का हिस्सा पुराने साझेदार द्वारा त्याग किये गए हिस्सों को जोड़कर ज्ञात किया जाता है। और पुराने साझेदारों के हिस्से उनके द्वारा त्याग किये गए हिस्सों को उनके पुराने हिस्सों में से घटाकर ज्ञात किया जाता है। 

ये भी पढ़े :– 

  1. जर्नल entry के नियम 
  2. Methods of goodwill valuation

Conclusion

इस पोस्ट calculation of new profit sharing ratio in hindi में हमने जाना की नया लाभ-विभाजन अनुपात ज्ञात करना कैसे ज्ञात कर सकते है। 

sacrificing ratio kya hota hai

 त्याग अनुपात (Sacrifice Ratio) क्या होता है ?

sacrificing ratio kya hota hai :- जब कभी फर्म में न्य साझेदार प्रवेश करता है तो पुराने साझेदारों को अपने हिस्से में से कुछ भाग नए partner क पक्ष में त्याग करना होता है, और जिस अनुपात में वह अपने हिस्से का त्याग करते है उसे त्याग अनुपात कहते है। 

sacrificing ratio meaning in hindi sacrificing ratio kya hota hai

sacrificing ratio का मतलब त्याग अनुपात होता है, नए साझेदार द्वारा नकद लायी गयी goodwill की राशि को पुराने साझेदारों को उनके द्वारा किये गए त्याग अनुपात में ही प्राप्त किया जाता है ,ऐसा इसलिए क्यूंकि goodwill की राशि एक हानि को पूरा करने वाला स्त्रोत्र है जिसके माध्यम से पुराने साझेदारों को उनके द्वारा किये गए त्याग के बदले प्राप्त होती है। 

sacrifice ratio formula class 12 in hindi

त्याग अनुपात की गणना निम्न formula के माध्यम से की जाती है :-

sacrificing ratio formula

त्याग अनुपात = पुराना अनुपात – नया अनुपात 

Sacrifice Ratio = Old Ratio – New Ratio

Sacrificing ratio calculation example question

sacrificing ratio kya hota hai

Question :- A, B and C share profits in the ratio of 4:3:2 And D was admitted in the firm as a partner with 1/10th share of profits. Calculate sacrificing ratio of the partners.

Solution – त्याग अनुपात को निकालने के लिए सबसे पहले हमको पुराने लाभ विभाजन अनुपात तथा नए लाभ विभाजन अनुपात चाहिए। लेकिन उपरोक्त example में नए लाभ विभाजन अनुपात नहीं दिए हुए है। इस कारण हमको सबसे पहले लाभ विभाजन अनुपात ज्ञात करना होगा। 

sacrificing ratio kya hota hai

Calculation of New Profit Sharing Ratios :-

Let total profit be =1

D takes = 1/10th share out of 1, Remaining part is 1- 1/10 = 9/10

Thus the old partners will now share 9/10 th share, which will be divided in their old

profit sharing ratio of 4 : 3 : 2

Therefore,               

                A’s New share of profit will be = 4/9 of 3/9 = 4/10

                B’s New share of profit will be = 3/9 of 9/10 = 3/10

                C’s New share of profit will be = 2/9 0f 9/10 = 2/10

                D’s share                                                        = 1/10

Thus, The new profit sharing ratio will be = A : B :C : D

= 4/10 : 3/10 : 2/10 : 1/10 = 4 : 3 : 2 : 1

Calculations of Sacrificing Ratios :-

Sacrificing Ratio = Old Ratio – New Ratio

Therefore,

               Sacrifice mabe by A = 4/9 – 4/10 = 40 – 36/ 90 = 4/90

               Sacrifice mabe by B = 3/9 – 3/10 = 30 – 27/90 = 3/90

               Sacrifice mabe by C = 2/9 – 2/10 = 20 – 18/90 = 2/90

Therefore, Sacrifice of A,B And C = 4/90 : 3/90 : 2/90 = 4 : 3 : 2

इस तरीके से हम sacrificing ratio को ज्ञात कर सकते है। 

ये भी पढ़े :- 

Conclusion 

इस पोस्ट sacrificing ratio kya hota hai में हमने जान की sacrificing ratio (त्याग अनुपात ) कैसे ज्ञात कर सकता है ? और sacrificing ratio का फॉर्मूला क्या होता है ? आप आपने सवाल जवाब को हमें comment के माध्यम से पूछ सकते है। 

 

accounting treatment of goodwill class 12 in hindi

Accounting Treatment of goodwill in hindi 

accounting treatment of goodwill class 12 in hindi :- जब कभी नया साझेदार फर्म में प्रवेश करता है तो ख्याति (goodwill) के वहवहार (rules) में परिवर्तन होते है। जो की फर्म पर प्रभाव डालते है आज हम इन treatment के बारे में जानेगें।

नए साझेदार के प्रवेश के समय ख्याति का लेखांकन व्हवहार accounting treatment of goodwill class 12 in hindi

(Accounting treatment of goodwill on the admision of new partner 

Explain the methods of Accounting treatment of goodwill

नए साझेदार के प्रवेश के समय ख्याति (goodwill) का वहवहार करने की तीन conditions हो सकती है जो की निम्नलिखित है :-

  1. जब नया partner अपने हिस्से की ख्याति (goodwill) premium को नकद में लाता है।
  2. जब ख्याति (goodwill) premium का व्यक्तिगत रूप से भुगतान किया जाता है।
  3. जब नया साझेदार अपने हिस्से की ख्याति (goodwill) premium को नकद में नहीं लाता है।

accounting treatment of goodwill class 12 in hindi

जब ख्याति (goodwill) का व्यक्तिगत रूप से भुगतान किया जाता है ( when payment of goodwill/premium privately)

जब नया साझेदार अपने हिस्से की ख्याति (goodwill)  के लिए पुराने साझेदारो को व्यक्तिगत रूप से नकद भुगतान कर देता है तो इस condition में ख्याति (goodwill)  की राशि फर्म में नहीं लायी जाती और इस ख्याति (goodwill)  का फर्म की पुस्तकों में कोई लेखा भी नहीं होता।

जब नया partner अपने हिस्से की ख्याति (goodwill) को नकद में लाता है ( When the new partner brings his share of goodwill/premium in cash)

इस condition में दो विकल्प हो सकते है जो की निम्नलिखित है :-

  1. नए साझेदार द्वारा लायी गयी ख्याति (goodwill)  को व्यापार में ही रखना (Goodwill/premium brought in by the new partner, retained in the business)
  2. नए साझेदार द्वारा लायी गयी ख्याति (goodwill) की राशि को पुराने साझेदारो द्वारा निकाल लेना (Goodwill/premium brought in by new partner, withdrawn by the old partners) (accounting treatment of goodwill class 12 in hindi)

accounting treatment of goodwill class 12 in hindi

नए साझेदार द्वारा लायी गयी ख्याति (goodwill)  को व्यापार में ही रखना (Goodwill/premium brought in by the new partner, retained in the business)

यदि नया साझेदार अपने हिस्से की ख्याति (goodwill) के लिए नकद राशि फर्म में ले आता है और इसे वयवसाय में ही रहने दिया जाता है तो इस राशि को पुराने साझेदारो के पूंजी खातों में उनके त्याग अनुपात में क्रेडिट कर दिया जाता है।

इसके लिए निम्न दो entry बनायीं जाती है :-

1.

Cash/Bank A/c                                   Dr.

To premium for goodwill A/c

(The amount of goodwill/premium brought in cash by new partner)

2.

Premium for Goodwill A/c                    Dr.

To old Partners’s Capital A/c

(The Amount of goodwill/premium transferred to old partners capital accounts in sacrificing ratio)

accounting treatment of goodwill class 12 in hindi

नए साझेदार द्वारा लायी गयी ख्याति (goodwill) की राशि को पुराने साझेदारो द्वारा निकाल लेना (Goodwill/premium brought in by new partner, withdrawn by the old partners)

यदि नए साझेदार अपने हिस्से की ख्याति (goodwill) की राशि लाने पर पुराने साझेदार अपने पूंजी खातों में credit की गयी ख्याति (goodwill) की पूरी राशि या उसका आंशिक भाग निकाल लेते है तो ऐसी दशा में उपरोक्त (i) में दी गयी दो जर्नल entry के अतिरिक्त एक अन्य जर्नल entry पुराने साझेदारो के द्वारा निकाली गयी राशि से बनायीं जाती है जो निम्न प्रकार है :-

old Partner’s Capital A/cs                Dr.

To Cash/Bank A/c

(The amount of goodwill/premium withdrawan by the old partners)

इस तरह से नए साझेदार के प्रवेश होने पर goodwill treatment की जाती है और journal entry की जाती है।

ये भी पढ़े :- 

  1. admision of a partner notes in hindi
  2. Journal Entry rules in hindi
  3. Accounting standards in hindi
  4. Nature of accounting standard in hindi

Conclusion

इस post में हमने जाना की accounting treatment of goodwill class 12 in hindi क्या होता है और इसको कैसे लागू किया जाता है। इसके अतिरिक्त हमने जाना की goodwill treatment में कौन -2 से जर्नल entry प्रयोग होते है।  इसके अतिरिक्त यदि आपका कोई और सवाल जवाब comment के माध्यम पूछ सकते है।

revaluation of assets and liabilities in hindi

revaluation of assets and liabilities class 12 solutions

Revaluation of assets and liabilities in hindi :- नया साझेदार फर्म से प्रवेश करने से पहले इस बात से संतुष्ट होना चाहता है की पुस्तक में दिखाई गयी सम्पतियो और दायित्वों का मूल्य सही है या नहीं इस कारण assets और liabilities का फिर से valuation किया जाता है।

सम्पतियो और दायित्वों का पुनर्मुल्यांकन क्या है ? revaluation of assets and liabilities in hindi

नए और पुराने साझेदार दोने चाहते है की फर्म के ज़्यादा समय होने के बाद फर्म का पुनर्मुल्यांकन किया जाए क्यूंकि समय ज्यादा  होने पर फर्म के सम्पत्ति और दायित्वों में परिवर्तन हो जाता है और इसका उचित लेखा करना भी आवश्यक होता है। इसको revaluation of assets and liabilities कहते है।

सम्पतियो और दायित्वों का पुनर्मुल्यांकन कैसे करते है ? revaluation of assets and liabilities

सम्पत्तियो और दायित्वों का पुनर्मुल्यांकन के लिए एक पुनर्मुल्यांकन खाता बनाया जाता है जो की लाभ -हानि समायोजन खाते के समान होता है। इस कारण हम इसमें हानियों की राशि से इस खाते को debit करते है और लाभ की राशि से इस खाते को credit करते है।

revaluation of assets and liabilities in hindi

इसके लिए निम्न Journal entry करते है :-

(1) सम्पतियो का मूल्य कम होने पर 

Revaluation A/c or Profit & Loss adjustment A/c                            Dr.

         To Assets A/c

(Decrease in the value of assets)

(2) सम्पतियो का मूल्य बढ़ने पर 

Assets A/c                                                                                        Dr.

          To Revaluation A/c or Profit & Loss Adjustment A/c

(Increase in the value of assets)

(3) दायित्वों का मूल्य बढ़ने पर 

Revaluation A/c or Profit & Loss Adjustment A/c                             Dr.

     To Liabilities A/c

(Increase in the value of liabilities)

(4) दायित्वों का मूल्य घटने पर 

Liabilties A/c                                                                                    Dr.

To Revaluation A/c or profit & loss adjustment A/c

(Decrease in the value of liabilities)

उपरोक्त entry के आधार पर पुनर्मुल्यांकन खाता और लाभ -हानि समायोजन खाता तैयार किया जाता है। यदि इस खाते की credit side अधिक है तो लाभ होगा तथा debit side अधिक है तो हानि होती है।

और इस लाभ या हानि को पुराने साझेदारों में उनके पुराने लाभ -हानि विभाजन अनुपात में बाँट दिया  जाता है।

इसके लिए निम्नलिखित journal entry की जाती है :-

(5) (a) लाभ होने पर लेखा 

Revaluation A/c                                                      Dr.

      To old Partner’s Capital A/cs

(Profit on revaluation credited to old partner’s capital A/cs)

(5) (b) लाभ होने पर लेखा

Old partner’s Capital A/cs                                       Dr.

         To Revaluation A/c

(Loss on revaluation debited to old partner’s capital A/cs)

इस तरह से revaluation of assets and liabilities in hindi के अंदर entries को किया जाता है।

ये भी पढ़े :- 

  1. admision of a partner class 12 in hindi
  2. Goodwill kya hai in hindi
  3. Journal entry rules in hindi

Conclusion 

इस पोस्ट (revaluation of assets and liabilities in hindi) में हमने जाना की सम्पतियो और दायित्वों का पुनर्मुल्यांकन क्या है ? सम्पतियो और दायित्वों का पुनर्मुल्यांकन कैसे करते है ? निम्न revaluation of assets and liabilities Journal entry के बारे में जाना।  आप हमको comment के माध्यम से भी अपने सवाल doubt को पूछ सकते है।

Retirement of a partner in hindi

साझेदार का अवकाश Retirement of a partner Meaning

Retirement of a partner in hindi :- साझेदार द्वारा फर्म को एक उचित नोटिस देकर अवकाश ग्रहण करने के अधिकार होता है। किसी नहीं पुराने साझेदार के अवकाश लेने पर पुरनी साझेदारी खत्म हो जाती है, लेकिन फर्म कार्य करती रहती है। जिससे की बचे हुए साझेदारो के बिच एक नयी साझेदारी की स्थापना हो जाती है। 

साझेदार के अवकाश लेने पर दिए जाने वाले अधिकार Retirement of a partner in hindi

  1. ख्याति में हिस्सा (Share in Goodwill) :- फर्म की ख्याति का जब valuation किया जाता है और अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के हिस्से की ख्याति को उसके पूंजी खाते में credit कर दिया  है। 
  2. सम्पतियो और दायित्वों के revaluation में हिस्सा (share in revaluation of assests and liabilities) :- जब फर्म के अंदर अवकाश ग्रहण करने के तिथि पर सम्पतित्यो और दायित्वों का revaluation किया जाता है और इससे प्राप्त होने वाले लाभ को अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के हिस्से को उसके पूंजी खाते में क्रेडिट कर दिया जाता और यदि कोई हानि होती है तो उस हानि को debit के तरह लिख दिया जाता है। अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार ज्ञात की गयी राशि का भुगतान तो परन्तु कर दिया जाता है या इसको उसके ऋण खाते में transfer करने के बाद भुगतान कर दिया जाता है। 
  3. संचयो में हिस्सा (Share in Reserves) :- फर्म के पिछले वर्ष के अवतारित लाभ संचय होते है और इन संचयो और अवतारित लाभों के अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार के हिस्से की भी उनके पूंजी खाते में credit कर दिया जाता है। 

साझेदार के अवकाश ग्रहण से सम्बंधित समस्याएँ 

किसी भी साझेदार के अवकाश ग्रहण करते समय लेखांकन सम्बन्धी निम्नलिखित problems उत्पन्न होती है :-

  1. ख्याति की फिर से entries करना। 
  2. बचे हुए साझेदारो के नए लाभ – विभाजन अनुपात और लाभ -हानि अनुपात को ज्ञात करना। 
  3. सम्पतियो और दायित्वों के revaluation के लिए लेखांकन व्यवहार। 
  4. अवकाश ग्रहण करने वाले साझेदार को भुगतान करना। 
  5. पूंजी खातों का लाभ – विभाजन अनुपात में समायोजन। 

Retirement of a partner in hindi

नए लाभ हानि अनुपात को ज्ञात करना (calculation of new profit sharing ratio)

जब कोई साझेदार आवक्ष ग्रहण करता है तो शेष साझेदारो के नए अनुपात के संबंध में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है तो ऐसी condition में शेष साझेदार भविष्य में भी लाभ -हानि को अपने पुराने अनुपात में ही बाँटते रहेगें। 

ये भी पढ़े :-

  1.  Methods of valuation of goodwill in hindi 
  2. Goodwill क्या होता है ? 

Retirement of a partner in hindi

Conclusion 

इस post (Retirement of a partner in hindi) में हमने जाना की साझेदार का अवकाश क्या है ? और किसी साझेदार के अवकाश लेने पर फर्म पर क्या प्रभाव पड़ता है। साझेदार के अवकाश ग्रहण से सम्बंधित समस्याएँ, साझेदार के अवकाश लेने पर दिए जाने वाले अधिकार आदि आप हमको comment के माध्यम से भी अपने question को पूछ सकते है। 

bh series number plate kya hai

Bharat series Vehicle Mark

bh series number plate kya hai :- Bh- series सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा introduce किया गया एक नया vehicle number plate registration mark है। जिसमे माध्यम से  BH mark वाले vehicles owner को अब state बदलने पर नया registration नहीं करना होगा। 

Bh series number plate meaning bh series number plate kya hai

 जैसा की हम चुके है की 

BH series number plate ministry of road transport & highways government of india द्वारा लॉच किया गया एक IT based solution है, जिसके माध्यम से vehicle numbe registration किया जाता है।

इससे पहले हमको हर बार दूसरे state में vehicle को चलाने के लिए फिर से vehicle registration कराना पड़ता था, लेकिन अब इसके माध्यम से हम एक ही registration number plate पर other states में vehicle को चला सकते है। 

Bh – series number plate notification/Type 

Ministry of road transport & highways government of india द्वारा 26 Aug 2021 को एक नया bh series registration notification निकाला गया था। 

जिसमे new vehicles के लिए नया registartion mark को introduce किया गया जहाँ BH series का पूरा नाम “Bharat series” है। इस mark के according जिस वाहन में ये registration mark होगा उसको दूसरे state में जाने के बाद फिर से registration नहीं कराना होगा। 

bh series number plate kya hai

Formate of Bh series Registration Mark 

Registration Mark Format :- 

  • YY BH ####XX
  • YY – (इसका मतलब (Year of First Registration से है)
  • BH – Code for Bharat Series
  • #### – 0000 to 9999 ( यहाँ पर  0000 से 9999)के बिच में कोई भी random नंबर होंगे 
  • XX – Alphabets ( यहाँ AA से ZZ के बिच कोई भी Random alphabates हो सकते है)

Bh series number plate registration kaise kare ?

Note :- Section 47 Motor Vehicles Act, 1988 के अनुसार कोई भी vehicle other द्वारा 12 months के बाद वो अपने vehicle का other state से registration नहीं करा सकता, लेकिन bh series के आने के बाद एक नया तह सिमा ( time) बनाया जायेगा जिसके माध्यम से vehicle का other states में new registration किया जा सकेगा। 

bh series number plate kya hai

bh- series registration process :- 

  • Bh series registartion portal पर जाकर registration करना होगा। 
  • New series registration के लिए previous registered state का certificate requirement होगी। 
  • New registration के लिए Road Tax (prorata basis) पर new state के लिए देना होगा। 
  • Form fill और verification complete हो जाने के बाद आपको New bh series का number plate issue कर दिया जाएगा। 
  • Road tax refund करने के लिए आप application status को देख सकते है। 

Bh series number plate apply online

Bh series number plate online जल्द ही official website पर होना start हो जाएगा।

bh series number plate kya hai  Bh series number plate voluntary basis पर सबसे पहले available होगा जिसमें, Defense personnel, Central government के employees, state government के employees, Central public sector और private sector के उन कंपनियां या फिर Organization को दिया जाएगा जिनका व्यापार चार state से अधिक मे होता है। 

bh series registration portal 

Offical Website Of Ministry of road transport and highways 

Bh series registration tax

Bh series road tax

Bh series Registration टैक्स अभी official सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बताया नहीं गया है, जैसे है हमको कोई update मिलती है तो हम आपको सूचित करते है इसके अतिरिक्त हम आपको बता दे कि इसके Registration मे Road Tax apply होगा जो निम्नलिखित है।

bh series road tax

bh series number plate kya hai में Motor Vehicles Tax 2 साल तक देना होगा जो कि हर एक साल मे 2 बार Paid करना होगा। इस scheme के माध्यम से vehicle को दूसरे स्टेट मे भी आसानी से बिना किसी रोक के चलाया जा सकेगा । 

वाहन के 14 years पूरे होने के बाद Road Tax साल मे एक ही बार देना होगा और रोड टैक्स का Amount भी half Paid करना होगा। 

ये भी पढ़े :-

Conclusion 

bh series number plate kya hai

Bh series Kya hai ?

Bh- series सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा introduce किया गया एक नया vehicle number plate registration mark है। जिसमे माध्यम से  BH mark वाले vehicles owner को अब state बदलने पर नया registration नहीं करना होगा। 

Bh series Full form

Bharat Series New Registration Mark for Number plate

bh series vehicle registration for old vehicles

Bh series for old vehicles के registration सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय दुआरा government और companies के बाद किया जाएगा।

How to get bh series registration for old vehicle

Registration Start के बाद official website से apply करके।

इसके अतिरिक्त आप हमसे Comment बॉक्स के माध्यम से अपने Questions को पूछ सकते हैं।

accounting for goods and services tax class 11 notes in hindi

Gst kya hai ?

accounting for goods and services tax class 11 notes in hindi :- Gst एक तरह का अप्रत्यक्ष कर होता है, जिसको वस्तु और सेवाओं के क्रय और विक्रय पर लगाया जाता है। ये कर एक पहले से तैयार ( निर्धारित) किये गए दर से लगाया जाता है। Gst पुरे india में एक समान रूप से लागू होता है।

accounting for goods and services tax class 11 notes in hindi

Meaning of Goods And services Tax

GST अधिनियम को संसद  में 24 march 2017 को पास किया गया था, और इस टैक्स को पूरी तरह 1 july 2017 को लागू कर दिया गया था।  इस tax के अनुसार केवल petrollium और शराब को छोड़कर और सभी items के क्रय -विक्रय पर एक निर्धारित tax लगता है।

Taxes Marged into GST ( Gst में जोड़े गए कर)

GST के अंदर केंद्र और राजकीय सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले कई अप्रत्यक्ष करो को सम्मिलित किया है जो की निम्नलिखित है :-

Central Level taxes (केंद्रीय स्तर के कर)

  • उत्पादन शुल्क (Excise Duty)
  • सेवा कर (Service Tax)
  • केंद्रीय बिक्री कर (Central Sales Tax)

State Level taxes (राजकीय स्तर के कर)

  • चुंगी और प्रवेश पर लगने वाला कर (Octroi and entry tax)
  • क्रय कर (purchase tax)
  • मनोरंजन कर (Entertainment tax)
  • मूल्य बढ़ने पर कर (VAT)
  • विलासिलता कर (Luxury Tax)
  • लॉटरी पर कर (Taxes on Lottery)

accounting for goods and services tax class 11 notes in hindi

GST Rate structure in hindi

GST को लेने के लिए वस्तुओ और सेवाओं को पांच भागो में बाँटा गया है जो की निम्नलिखित है :-

  • जरुरी वस्तुए जैसे खाद्य पदार्थ सहित (Essential items including food)                      0%
  • सामान्य प्रयोग में आने वाली वस्तुए (Common Use Itmes)                                         5%
  • प्रमाप दर (Stnadard Rate)                                                                                  12%
  • सबसे ज्यादा वस्तुए और सभी तरह के सेवाओं के लिए प्रमाप दर (Maximum Goods and all services standard rate)                                                                                    18%
  • luxury Items और tobaco products                                                                    28%

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ये भी पढ़े :-

GST Apply Process 

GST  को किसी  वस्तुओं और सेवाओं के क्रय पर भुगतान (paid) करते है और वस्तुओं और सेवाओं के विक्रय होने पर customers से GST को collect किया जाता है। GST जब paid किया जाता है, तो इसको Input GST  कहते है, इसके अत्तिरिक्त जब GST को collect किया जाता है तो इसको output GST कहते  है। 

हम जान चुके है की क्रय पर चुकाया गया GST (Input GST) क्रेता के लिए लागत नहीं है लेकिन सम्पति है ऐसा इसलिए इसे विक्रय पर वसूल GST (Output GST) से समायोजित कर सकते है। इस तरह से हम विक्रय पर वसूल GST (Output GST) विक्रेता के लिए आय नहीं है परन्तु दायित्व है। 

जीएसटी वेबसाइट

GST  की official website https://www.gst.gov.in/

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GST Full form in hindi ?

Goods and service tax

GST definition in hindi

 
accounting for goods and services tax class 11 notes in hindi :- Gst एक तरह का अप्रत्यक्ष कर होता है, जिसको वस्तु और सेवाओं के क्रय और विक्रय पर लगाया जाता है।

Type of Taxes in GST

उत्पादन शुल्क (Excise Duty)
सेवा कर (Service Tax)
केंद्रीय बिक्री कर (Central Sales Tax)

Types of GST Rate structure

जरुरी वस्तुए जैसे खाद्य पदार्थ सहित (Essential items including food)                      0%
सामान्य प्रयोग में आने वाली वस्तुए (Common Use Itmes)                                         5%
प्रमाप दर (Stnadard Rate)                                                                                  12%
सबसे ज्यादा वस्तुए और सभी तरह के सेवाओं के लिए प्रमाप दर (Maximum Goods and all services standard rate)                                                                                    18%
luxury Items और tobaco products         

इस पोस्ट (accounting for goods and services tax class 11 notes in hindi) में हमने GST के बारे में जाना यदि आपको कोई Doubt है या फिर कोई question है तो आप comment के माध्यम से पूछ सकते है।

type of gst in hindi

जीएसटी कितने प्रकार के होते हैं

type of gst in hindi :- GST को करो के अंतर्गत तीन भागो में बाँटा गया है जो की निम्नलिखित है। 

types of tax under gst in hindi

type of gst in hindi 

  • केंद्रीय GST (Central GST or CGST)
  • प्रांतीय GST (State GST or SGST) या केंद्र प्रशासित क्षेत्र GST (Union Territory GST or (UTGST)
  • सयुंक्त GST (Integrated GST या IGST)

केंद्रीय GST (Central GST or CGST) क्या है ?

ये वो GST टैक्स होता है जो की केंद्र के तरफ से लागू  होता है। 

state GST या SGST क्या है ?

प्रांतीय GST (State GST or SGST) या केंद्र प्रशासित क्षेत्र GST (Union Territory GST or (UTGST)

दोनों कर एक ही प्रान्त की सीमाओं पर विक्रय पर लगाया जाता है। जैसे की बिहार का एक व्यापारी, बिहार के ही एक दूसरे व्यापारी या फिर ग्राहक को 50,000 रूपए में माल को विक्रय करता है तो मान लीजिये की इस माल का GST की दर 12 % है तो इसमें 6 % CGST और 6 % SGST माना जायेगा, और विक्रेता को 50,000 रूपए का 12 % यानी 6000 रूपए लेने होंगें जिसमे से 3000 रूपए CGST होगा। 

और ये केंद्र सर्कार को जाएगा और 3000 रूपए SGST होगा जो की बिहार सरकार को जाएगा। 

सयुंक्त GST (Integrated GST या IGST) क्या है ?

type of gst in hindi

IGST  क्या है ?

ये GST किसी प्रान्त (state) के बाहर किये गए products या फिर services के विक्रय होने पर लगाया जाता है, products और services  पर ये GST भारत में आयात और सेवाओं के भारत में निर्यात पर भी लगाया जाता है। 

जैसे की हरियाणा का एक व्यापारी दिल्ली के  व्यापारी को 50,000 रूपए का माल विक्रय करता है और यदि IGST की दर 12 % है तो ऐसी condition में विक्रेता 6000 रूपए IGST वसूल करेगा और tax की यह सम्पूर्ण राशि केंद्रीय सरकार को जाएगी। 

Note :- IGST में GST को केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों के मध्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमो के अंतर्गत devide कर दिया जाता है। 

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Reverse charge under gst in hindi

Reverse charge kya hai ?

कुछ products and services का क्रय “Reverse Charge ” के अंतर्गत रखा जाता है जो निम्न तरीके से apply होता है :-

reverse charge meaning in hindi

Reverse charge का मतलब है की GSTविक्रेता द्वारा charge नहीं किया जाएगा जबकि करता द्वारा खुद ही सरकार को भुगतान किया जाता है और क्रेता इसे input GST के रूप में claim किया जाता है। 

Reverse charge के according रखी हुई product and services निम्न है :- Registered व्यापारी द्वारा बिना किसी बिना registered व्यक्ति (व्यापारी ) से क्रय किया गया माल या सेवा, वकील को दी गयी fees, copyright को बनाने के लिए दिया गया रूपए, Transportation cost, बिमा, कमीशन आदि। 

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type of gst in hindi ?

GST को करो के अंतर्गत तीन भागो में बाँटा गया है।

types of tax under gst in hindi

केंद्रीय GST (Central GST or CGST)
प्रांतीय GST (State GST or SGST) या केंद्र प्रशासित क्षेत्र GST (Union Territory GST or (UTGST)
सयुंक्त GST (Integrated GST या IGST)

केंद्रीय GST (Central GST or CGST) क्या है ?

ये वो GST टैक्स होता है जो की केंद्र के तरफ से लागू  होता है। 

SGST क्या है ?

एक ही प्रान्त की सीमाओं पर products और services के विक्रय पर लगाया जाने वाले कर SGST कहलाता है।

IGST क्या है ?

ये GST किसी प्रान्त (state) के बाहर किये गए products या फिर services के विक्रय होने पर लगाया जाता है IGST कहलाता है।

इस पोस्ट type of gst in hindi में हमने GST के types के बारे में जाना आप अपने questions को comments के माध्यम से पूछ सकते है।

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